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धर्मपत्नी के लिए - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
डॉ. सतीश कुमार तुम कुछ नहीं भी कहती, मैं बहुत कुछ सुन लेता हूँ। सब कुछ समझ भी लेता हूँ, कह नहीं सकता। पर, मेरा अनकहा तुम सुन भी लेती हो, तुम गुन भी लेती हो। तुमने संभाला है जैसे अब तक, बस यूँ ही संभाले रहना। तुम नहीं तो…