भूतपूर्व न्यायाधीश काटजू भारतीय या पाकिस्तानी

पहले चमेल सिंह और फिर सरबजीत सिंह की पाकिस्तानी जेल में हुई क्रूरतम हत्या ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है परन्तु विभिन्न विवादास्पद चर्चा में चर्चित भूतपूर्व न्यायाधीश काटजू सन् 1993 के बंबई बम ब्लास्ट के दोषी संजय दत्त की सजा माफ कराने के लिए लम्बी चर्चा में रहे काटजू जी ने एक बार फिर मुस्लिम प्रेम व अपनी भारत विरोधी मानसिकता का परिचय दिया है। श्री काटजू ने जम्मू जेल में बंद 10 लोगों की हत्या करने वाले पाकिस्तानी नागरिक खूंखार आतंकवादी सनाउल्लाह खान को छोडने की केन्द्र सरकार से अपील की है।
काटजू साहब को पाकिस्तानी जेलों में बंद बेगुनाह भारतीय कैदियों पर हो रहे भीषण अत्याचार नहीं दिख रहे है। जिनमें अन्य भारतीयों के साथ-साथ सेना के जवान व गुप्तचर भी है। परन्तु इनको किसी की देशभक्ति नहीं दिख रही तथा न ही इन्हें पाकिस्तानियों द्वारा चमेल सिंह तथा सरबजीत की नृशंस हत्या भी दिखाई दे रही। उन्हें दिख रहे है तो केवल भारतीयों का खून बहाने वाले भारतीय जेलों में बंद मुस्लिम आतंकवादी जिन्हें छुडाने के लिए वे अपनी पूरी ताकत लगा रहे हैं। काटजू ने भारतीय जेलों में बंद विचाराधीन मुस्लिम अपराधियों को छोडने के लिए समीक्षा समितियों तथा उनकी जल्दी रिहाई की व्यवस्था कराने की भी अपील की है। सिर्फ मुस्लिमों को खुश करने के लिए कांग्रेस द्वारा खडे किए गए ‘‘भगवा आतंकवाद’ को सही ठहराने के लिए पिछले 4-5 वर्षों से बिना किसी सबूत साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, स्वामी असीमानंद, कर्नल पुरोहित आदि  जो कांग्रेस की शह पर जेलों में बंद हैं तथा जिन पर अमानुषिक अत्याचार हो रहे है यहां तक की साध्वी जी को तो कैंसर भी हो गया है, क्या काटजू जी को इनके कोई मानवीय अधिकार केवल इसलिए नहीं दिखाई देते कि ये सब हिन्दू है!
काटजू साहब ने न्यायाधीश रहते हुए भी अपने कार्यकाल में पता नहीं किस प्रकार मानवता की परिभाषा अपनाई होगी!
काटजू साहब अब धर्मनिरपेक्ष देश में केवल एक धर्म विशेष के लोगों के लिए ही कार्य करेंगे! उन्हें ऐसा करने के लिए क्या शत्रु देश पाकिस्तान से कुछ पुरस्कार मिलने की आशा है?

आर. के. गुप्ता

2 COMMENTS

  1. काटजू ना समझ कैसे हो सकते हैं ? वे जो भी कर रहे हैं, खूब सोच- समझ कर ही कर रहे होंगे. एक न्यायमूर्ति नासमझ होगा क्या ? अतः समझना हमें है की वे भारत में रह कर, भारत के खर्च पर काम किसी और का, किसी और के लिए कर रहे हैं. फिर भी हम ही न समझें तो दोष उनका नहीं, हमारा है .

  2. अभी दो दिन पूर्व टीवी पर सनाउल्लाह के बारे में जम्मू जेल के पूर्व अधीक्षक का साक्षात्कार दिखया जा रहा था.उन्होंने बताया की सनाउल्लाह पक्का तास्सुवी था और उसका मानना था की उनिय में केवल दो ही वर्ग हैं मुसलमान या काफ़िर.वो सभी हिन्दुस्तानियों और कश्मीरियों को काफ़िर ही बुलाता था.औ उसका मन्ना था की काफिरों को जिन्दा रहने का हक नहीं है और केवल ईमान वाले अर्थात मुसलमान ही जिन्दा रहने के हकदार हैं.पूर्व न्यायमूर्ति काटजू द्वारा बिना विचार किये उसे माफ़ी की अपील किया जाना उनके दिमागी दिवालियापन को दर्शाता है. ऐसा करके, और बार बार करके,वो लोगों में अपने प्रति सम्मान को नष्ट कर रहे हैं.उनके विचार को मानने का अर्थ होगा की हमारे वर्तमान न्यायमूर्तिगण शायद नासमझ हैं.

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