डा. राधेश्याम द्विवेदी
विश्व बाल सुरक्षा दिवस नगर में भी 1 जून को मनाया जाएगा। इस अवसर पर शहर की विभिन्न संस्थाएं कार्यक्रम आयोजित करेगी। कार्यक्रम के माध्यम से बच्चों की सुरक्षा का संदेश दिया जाएगा। इसके लिए पूर्व से तैयारी जारी है।विश्व बाल सुरक्षा दिवस के अवसर पर यूनीसेफ़ ने कहा कि ऐसे करोड़ों बच्चों की हालत पर ख़ास ध्यान देने की ज़रूरत है जो हर देश में और समाज के हर वर्ग में दुर्व्यवहार और हिंसा का शिकार होते हैं. यूनीसेफ़ ने कहा कि ज़्यादा चिन्ता की बात ये है कि इस क्रूर बर्ताव का शिकार होने वाले बच्चों के मामले कोई ख़बर नहीं बनते और ये बच्चे लगातार इस क्रूरता का शिकार होते रहते हैं.विश्व बाल सुरक्षा दिवस बच्चों के अधिकारों से सम्बन्धित संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन की वर्षगाँठ के अवसर पर मनाया गया.
यूनीसेफ़ के कार्यकारी निदेशक एंथॉनी लेक का कहना था कि अक्सर बच्चों पर हिंसा गुपचुप तरीक़े से होती है और उसे पुलिस वग़ैरा को रिपोर्ट नहीं किया जाता. उससे भी ज़्यादा ख़तरनाक बात ये है कि इस हिंसा को नीयति मानकर स्वीकार कर लिया जाता है. हम सभी की ये ज़िम्मेदारी बनती है कि इस तरह की हिंसा और दुर्व्यवहार के शिकार होने वाले बच्चों के मामलों को सामने लाएँ. इसके लिए हमें सख़्त क़ानून बनाने के लिए सरकारों को मजबूर करना होगा ताकि बच्चों के ख़िलाफ़ होने वाली हिंसा को रोका जा सके. इसके अलावा तमाम नागरिकों में ये हिम्मत और हौसला जगाना होगा कि अगर उनके सामने बच्चों पर किसी तरह की हिंसा होती है तो वे ख़ामोश ना रहें, बल्कि इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाएँ. ध्यान देने की बात है कि बच्चों के ख़िलाफ़ हिंसा कई तरीक़े से होती है. इसमें घरों में होने वाली हिंसा, यौन दुर्व्यवहार के साथ-साथ बच्चों को अनुशासित करने के लिए अपनाए जाने वाले सख़्त तरीक़े भी शामिल होते हैं. ऐसे मामले अक्सर युद्धग्रस्त क्षेत्रों में ज़्यादा होते हैं. इस तरह की हिंसा बच्चों को शारीरिक नुक़सान पहुँचाने के साथ-साथ उनके व्यक्तित्व को मानसिक और मनोवैज्ञानिक तौर पर भी तोड़ देती है. यूनीसेफ़ के प्रमुख एंथॉनी लेक का ये भी कहना था कि बच्चों के ख़िलाफ़ होने वाली हिंसा से सिर्फ़ उन बच्चों को ही नहीं, बल्कि पूरे समाज को नुक़सान होता है क्योंकि इससे उत्पादकता के साथ-साथ बच्चों के व्यापक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है और अन्ततः इससे किसी भी समाज का ताना-बाना बिखर जाता है. उनका कहना था कि कोई भी समाज बच्चों पर होने वाली हिंसा को नज़रअन्दाज़ नहीं कर सकता.
एंथॉनी लेक ने कहा कि बच्चों पर हिंसा को रोकने के लिए ज़रूरी है कि माता-पिता, अभिभावकों और ऐसे तमाम लोगों और संस्थाओं को जागरूक बनाया जाए जो बच्चों के सम्पर्क में रहते हैं.साथ ही बच्चों में ऐसा हुनर और क्षमताएँ विकसित की जाएँ जिनके बल पर वो हिंसा और दुर्व्यवहार की स्थित में अपनी हिफ़ाज़त कर सकें. इसके अलावा समाज में हिंसा और दुर्व्यवहार को सहन करने की मनोवृत्ति को भी बदलना होगा. ऐसे क़ानून और नीतियाँ भी बनानी और लागू करनी होंगी जो बच्चों की सुरक्षा को सुनिश्चित करें.
बाल शोषण रोकने आगे आए जनप्रतिनिधि:- खेलने-पढ़ने की उम्र में बालक- बालिकाओं का हिंसात्मक, लैंगिक और अन्य तरीकों से शोषण हो रहा है. कानून की जानकारी के अभाव में बहुत कम मामले ही सामने आ पाती है. कम उम्र में शोषण के गंभीर दौर से गुजरने के कारण बच्चों के जीवन और मानसिक स्थिति पर इसका खतरनाक असर पड़ता है. यह बात एकीकृत बाल सरंक्षण योजना के तहत जनपद पंचायत धमतरी में ब्लाक स्तरीय कार्यशाला में जनप्रतिनिधियों एवं कर्मचारियों को बताई गई. छोटे बच्चों का यौन शोषण करने वाला कोई बाहर का हो या जरूरी नहीं. घर में रहने वाले और नजदीकी रिश्तेदार भी शोषक हो सकते हैं. बहुत से बच्चे समाज में पीड़ा, हिंसा, शोषण और कई तरह के अपराधों का सामना कर रहे हैं. जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों के अधिकारों की रक्षा करें. बच्चों के सरंक्षण के लिए पुलिस, पंचायत सचिव, शाला शिक्षक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, एएनएम, जिला पंचायत एवं जनपद सदस्य, जनपद सीइओ एवं कलेक्टर से समन्वय स्थापित कर काम करना होगा.CLICS भारत जो स्वास्थ्य और देश के बच्चों की सुरक्षा के लिए भारत के ग्रामीण हिस्सों में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है का एक संगठन है. बाल सुरक्षा दिवस भारत में दिन जो एक बच्चे जीवन रक्षा दिवस के रूप में दिन का जश्न मनाने के लिए एक संकेत है.CLICS राष्ट्रीय संगठन है जो बच्चों के जीवित रहने दिन के समय के दौरान गांवों में विभिन्न स्वास्थ्य और सुरक्षा कार्यक्रमों को सक्रिय करता है. उन दिनों के दौरान सरकार स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाएं देने.उन कार्यक्रमों को गांवों समन्वय समिति की जिम्मेदारी द्वारा आयोजन. वीसीसी भारत के ग्रामीण भागों में उन लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा कार्यक्रमों के प्रदर्शन करने के लिए एक जिम्मेदारी है.बच्चे भविष्य नए भारत के निर्माता हैं. हम विकसित करने के लिए की तुलना में हम देश के बच्चों की मूर्ति जीवन के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया है. बाल सुरक्षा दिवस दिन जो बच्चों के मामले में समाज के प्रति जागरूकता के लिए समर्पित है का उत्सव है. भारत एक ऐसा देश है जो लोगों के जीवन की अनिवार्य आवश्यकता fullfill करने के लिए कम से कम पैसे की कमी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है एक है. आर्थिक हालत की वजह से लोगों को अपने बच्चों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं और अच्छी स्कूली शिक्षा प्रदान नहीं कर सकते. लेकिन अब दिन संगठन के कुछ भारत की इस समस्या को हल करने के लिए काम कर रहा है. इस दिन इस समस्या के समाधान के कुछ हिस्सों में से एक है.