मैं कर के याद तुम्हे हिचकिया दिला दूंगा…………………….
नगर नजीबाबाद की सामाजिक व सांस्कृतिक संस्था स्वतंत्र अभिव्यक्ति द्वारा शायर शादाब जफर शादाब के निवास नजमी हाऊस पर बीती शाम बिजनौर से आये मेहमान शायर जनाब अमीर नहटौरी के सम्मान में एक शेरी नशिस्त व उनके गजल संग्रह ’’जागते मंजर’’ का रस्म-ए-इजरा तंजो मिजहा के मशहूर शायर जनाब अजीज नजीबाबादी जी के हाथों किया गया. इस अवसर पर अजीज नजीबाबादी ने कहा की शायर का कलाम अगर किताब की शक्ल में छपकर मंजरे आम तक आ जाये तो आने वाली दस पीढियो के वो कलाम काम आ सकता है। रूमानी गजलो गीतो से सजी इस शेरी नशिस्त मैं शादाब जफर’’शादाब’’ ने कहा…..नजर बचा के जमाने से तुम चली आना, में कर के याद तुम्हे हिचकिया दिला दंूगा। शहबाज इब्ने मक्फी ने कहा….फिर तुझ से बढ के कोई ना होगा यहा अमीर, दिल को फरेबे हिर सो हवस से बचाईये। मोहम्म्द शेर हुसैन उर्फी ने कहा…. हम अपने शहर में ही अंजान है, हमे पहचानता कोई नही है। मेहमान शायर अमीर नहटौरी ने कहा…. तुम ने कहा बस रिश्ता टूटा, हमसे पूछो क्या क्या टूटा। अख्तर मुल्तानी ने कहा….. जवान हो के दिखाते है अब हमे आंखे, हमारी गोदी में बचपन गुजारने वाले। इकबाल हिंदुस्तानी ने कहा…. वो एकता का मसीहा बना जो फिरता है, वही तो मुल्क में नफरत के बीज बौता है। अजीज नजीबाबादी ने पढा… पूछा किसी ने दोस्तो जन्नत का रास्ता, कहने लगी बतूल सही रास्ते पे चल। डा अरूण देव ने इस तरहा समय को थोडा खुरच देगे हम जैसी संुदर कविता पढ समा बांध दिया इस के अतिरिक्त शहबाज मक्फी ,डा. रईस भारती, मास्टर महेन्द्र गोयल, अमीर नहटौरी ने बहतरीन कलाम पेश कर सामाईन को दाद देने पर मजबूर किया…… कायक्रम की सदारत मास्टर महेन्द्र गोयल जी ने व निजामत के फराईज इकबाल हिंदुस्तानी जी ने अदा किये. कायक्रम के अंत में वरिष्ठ कवि मनोज त्यागी जी और मास्टर महेन्द्र गोयल जी की पत्नी के निधन पर दो मिनट का मौन रख कर उन्हें खिराज-ए-अकीदत पेश की गई.