योजनाओं से वंचित बीपीएल परिवारों का भविष्‍य

विपिन जोशी

सरकार गरीबों के लिए तमाम योजनाएं बनाती है, जो ठीक ढ़ंग से जमीन पर लागू किए जाएं तो वाकई चमत्कारी बदलाव लाए जा सकते हैं। लेकिन अफसोस की बात यह है कि यह योजनाएं जरूरतमंदों तक पहुंच ही नहीं पाती हैं। उनका हक उनकी झोली में पहुंचने से पहले ही डकार लिया जाता है और उनके हिस्से आती है वही गरीबी और नाउम्मीदी। आज़ादी के बाद से अबतक देश में कितनी योजनाएं बनीं हैं इसका आंकलन करना भी कठिन है। कई योजनाएं अपनी अवधि खत्म कर चुकी हैं तो कई ऐसी भी हैं जो किन्हीं कारणों से आज तक शुरू नहीं किए जा सके हैं। हालांकि कुछ योजनाएं इस देश में ऐसी भी शुरू की गई हैं जो न सिर्फ आज तक चल रही हैं बल्कि कई गरीब परिवारों को उसका फायदा भी मिला है। बीपीएल योजना इन्हीं में से एक है। गरीबी रेखा अथवा निर्धनता रेखा से नीचे जीवन बसर करने वालों को इस योजना का लाभ मिलता है। वास्तव में यह आय के उस स्तर पर मापी जाती है जिसमें व्यक्ति अपनी भौतिक आवष्यकताओं को पूरा करने में भी असमर्थ होता है। भारत में सबसे पहले इसकी सरकारी गणना 2002 में की गई थी। इसका उद्देश्‍य गरीबों को दैनिक आवश्‍यकताओं की पूर्ति की जा सके। जिससे कि वह भी समाज में सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें। इसके तहत गरीबों को तमाम सरकारी योजनाओं के माध्यम से फायदा पहुंचाया जाता है। सरकारी अस्पतालों में इलाज की सुविधा, राशन कम दामों पर उपलब्ध कराना, इंदिरा आवास, रोजगार, शिक्षा और तमाम तरह की अन्य सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।

लेकिन प्रश्‍न उठता है कि क्या बीपीएल कार्ड धारकों को वास्तव में फायदा मिल पाता है। जो सुविधाएं सरकार ने उन्हें प्रदान की हैं क्या वह उनका पूरा लाभ उठा पाते हैं। देश में जिन योजनाओं में सबसे अधिक भ्रष्‍टाचार की खबरें आती हैं उनमें बीपीएल योजना भी शामिल है। इस योजना के तहत कई बार ऐसा देखा गया है कि सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत से बीपीएल की सूची में ऐसे लोगों का नाम जोड़ दिया जाता है जिन्हें इसकी आवश्‍यकता नहीं होती है अथवा उन्हें इसकी जानकारी तक नहीं होती है। पहाड़ों की नगरी कहे जाने वाले राज्य उत्तराखण्ड में भी बीपीएल कार्ड वितरण में भारी अनियमित्ता की खबरें आये दिन मीडिया की सुर्खी बनी रहती है। हाल ही में राज्य के उधमसिंह नगर के राजपुर गांव में 108 बीपीएल कार्डो की जांच की गई जिसमें 45 कार्ड अपात्र पाये गये यानि जो बीपीएल की श्रेणी में थे ही नहीं उनको भी गोलमाल कर बीपीएल कार्ड धारक बना दिया गया। ये तो राजपुर निवासी नन्हे खां द्वारा बीपीएल धारकों को वितरित किये गये राषन कार्डो की जानकारी आरटीआई के माध्यम से मांगी तो हकीकत सामने आयी। यह राज्य का अकेला मामला नहीं है ऐसे और भी कितने मामले उत्तराखण्ड के हर विकासखण्ड में उजागर हो सकते हैं। बीपीएल के दायरे में कौन होगा इसमें भी घालमेल किया जाता है। ऐसे परिवार जो वाकई में बीपीएल की श्रेणी में होने चाहिए उन्हें नजरअंदाज किया जाता है। संम्पति और बुनियादी आवश्‍यकताओं को देखकर नहीं बल्कि सरकारी नौकरी को आधार बना कर या रिश्‍वतखोरी के माध्यम से बीपीएल का निर्धारण किया जाता है जो पूरी तरह से नियम का उल्लंघन है।

बात केवल बीपीएल कार्ड में ही घालमेल की नहीं है बल्कि राज्य में चल रही गौरा देवी कन्या धन जैसी अन्य योजनाओं का लाभ भी वहीं लोग ले रहे हैं जिनकी सांठ-गांठ अधिकारियों या विकासखण्ड में कर्मचारियों के साथ है। कुछ लोगों ने तो लोन दिलाने का ठेका ले रखा है। इनका नेटवर्क इतना मजबूत है कि फर्जी इलाज से लेकर दुकान या कृषि लोन तक कमीशन पर दिला सकते हैं। महज चार पासपोर्ट फोटो और एक मात्र वोटर आई डी के आधार पर सरकारी सब्सीडी को डकारने वाले छोटे से बड़े दलाल जब तक मौजूद हैं तब तक जरूरतमंद को न तो योजनाओं का लाभ मिल सकता है और न ही उन तक सही जानकारी पहुंचेगी। यदि किसी बीपीएल परिवार का कोई युवा फौज में भर्ती हो जाए तो उस परिवार की लड़की को इण्टरमीडिएट पास करने के बाद नियम का हवाला देकर राज्य सरकार की ओर से मिलने वाले कन्याधन के लाभ से वंचित कर दिया जाता है। जबकि एक संपन्न परिवार अपनी पहुंच और रिष्वत के माध्यम से कन्याधन और इसके जैसी अन्य योजनाओं का बेधड़क का लाभ उठा ले जाता है। आर्थिक रूप से तुलना करें तो दोनों परिवारों में काफी अन्तर होगा। लेकिन इसके बावजूद भ्रश्टाचार की आड़ में सब चलता है की तर्ज पर धड़ल्ले से हो रहा है और प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगती है या वह इस तरफ देखना नहीं चाहता है। सरकार की ओर से विभिन्न अवसरों पर तमाम योजनाओं का बखूबी बखान किया जाता है लेकिन देखा जाए तो जमीनी हकीकत शून्य है। बीपीएल कार्ड में भारी गड़बड़ी की जांच ठीक से हो तो एक नया घोटाला सामने आ सकता है। बेशक ये करोड़ों का टूजी या कोल स्केम जैसा चटपटा ना हो लेकिन सरकार द्वारा घोषित गरीबों को देखने का और सही मायने में गरीब आदमी को समझने का एक अवसर होगा। (चरखा फीचर्स)

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