दिल्लीवासी हिन्दी लेखक
आज मुक्तिबोध का जन्मदिन है। इस मौके पर उनके बहाने हम बहुत कुछ नया सीख और समझ सकते हैं। पहली बात यह कि हिन्दी में साहित्यकारों की जो दशा है और खासकर दिल्ली केन्द्रित बड़े लेखकों की जो दशा है उस पर मुक्तिबोध की 54 साल की गई टिप्पणी एकदम सटीक बैठती है, उन्होंने लिखा है- “आज दिल्सी में बूढ़े पके बाल साहित्यिकों का जमघट हो गया। उनको स्वर्गवास नहीं दिल्लीवास हुआ। अर्थात् उनकी प्रतिभा की मृत्यु हो गयी और उन्होंने लिखना-पढ़ना छोड़ दिया। अब वे प्रतिष्ठा और सम्मान के स्वर्ग में हैं, और उस स्वर्ग में वे अधिक से अधिक आदर-श्रद्धा और पद के लिए राजनीति करते हैं, सूत्र हिलाते हैं, किन्तु सूत्रधार होने पहले वस्तुतः, वे विदूषक हो जाते हैं।”-
कांग्रेस का बुराई से शिष्ट समझौता
कांग्रेस में इन दिनों जबर्दस्त घमासान चल रहा है। मीडिया उसके ऊपर पर्दा ड़ालने का काम कर रहा है। भ्रष्टाचार के नाम पर नेताओं को हटाकर इस घमासान को भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम में तब्दील करने की कोशिश की जा रही है। कांग्रेस में भ्रष्टाचार का सवाल तब ही उठता है जब आंतरिक सांगठनिक संकट सामने हो।
सोनिया-राहुल -मनमोहन सिंह की ‘ईमानदार’ इमेज के जरिए वोटों की आंधी का ख्बाब देखने वाली कांग्रेस भ्रष्टाचार के तूफान में फंस गयी है। भ्रष्टाचार के खिलाफ एक्शन लेकर ये लोग आम लोगों में यह संदेश देना चाहते हैं कि कांग्रेस भ्रष्टाचार विरोधी,संगठित और अनुशासित दल है। लेकिन सच यह है कांग्रेस में आज जितना विभाजन है उतना इतिहास में पहले कभी नहीं था। यह भ्रष्टों का विभाजन है।
सोनिया वगैरह के नेतृत्व का आम लोगों पर क्या असर है ,यह बात कांग्रेस के पास केन्द्र में निजी बहुमत के अभाव से आसानी से समझ सकते हैं। नेतृत्व की ईमानदार छवि कितना आम कांग्रेसी नेता को प्रभावित किए हुए है इसे भी चह्वाण-कलमाणी प्रकरण के जरिए आसानी से देख सकते हैं।
इस प्रसंग में मुक्तिबोध की कांग्रेस पर लिखी टिप्पणी याद आ रही है। मुक्तिबोध ने लिखा था कांग्रेस में जो एकता है वह लूट की एकता है। इसे त्याग की एकता समझने की भूल नहीं करनी चाहिए। मुक्तिबोध ने कांग्रेस के नेताओं के बारे में लिखा “बहुतसों ने सन्त-गीरी का बाना धारकर बुराई से शिष्ट समझौता कर लिया है। वे अजातशत्रु बनने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरी ओर समाज के भ्रष्टाचारीवर्ग कांग्रेस में प्रवेश कर चुके हैं।”
एक सच्चा हिन्दू कभी भी काग्रेस को स्वीकार नहीं कर सकता इसिलए अवसरवादी लोगों को ही प्रलोभन और पद का लालच देकर पार्टी मैं शामिल किया है इसी का असर है की ऐसे लोग सर से पांव तक भ्रष्टाचार मैं लिप्त हैं.
सब जानते हैं गाँधी परिवार ने कोई क़ुरबानी नहीं दी वे अपने गलत फैसलों के शिकार हुए| जैसे इंदिरा जी सिखों के समबन्ध मैं और राजीव जी ने तमिलों के सम्बन्ध मैं. और हिन्दुओं के सम्बन्ध मैं इस परिवार ने हमेश गलत निर्णय लिया हैं. गलत कानूनों से अपने एक पक्षीय वोट बैंक को बढाया है| परिवन नियोजन पर गलत नीति अपनाकर और तुष्टिकरण पर चलकर हिन्दुओं का अपमान किया है |
इसके अलावा मीडिया को खुली छूट देकर हिन्दू संस्कृति को तार तार किया है| विभिन्न फिल्मों और धारावाहिकों के माध्यम से हिन्दू मान्यताओं और धर्म का अपमान किया है| कुछ चेनलों को खरीदकर एक तरफ़ा रिपोर्टिंग करवाई है|
धर्म निरपेक्षता पर दोहरा मापदंड अपनाया है विदेशी दबाब मैं धर्मान्तरण पर कोई प्रतिबन्ध नहीं लगाया| बड़ी संख्या मैं हिन्दुओं का धर्मान्तरण करवाया है|
आदरणीय जगदीश्वर जी को क्रांतीकारी अभिवादन के साथ शुक्रिया की ,कालजयी साहित्यिक हस्ती -मुक्तिवोध को उनकी वैचारिक प्रतिवद्धता के साथ -वर्तमान दौर के विमर्श से एकाकार किया ,उन्हें प्रमाणिकता के साथ जीवंत स्मरण किया …