हर वक्त तो हाथ में गुलाब नहीं होता

life
हर वक्त  तो हाथ में गुलाब नहीं होता
उधार के सपनों से  हिसाब नहीं होता।
यूं तो सवाल बहुत से उठते हैं ज़हन में
हर सवाल का मगर ज़वाब नहीं होता।
शुहरत मेरे लिए  अब  बेमानी हो गई
ख़ुश पाकर अब मैं  ख़िताब नहीं होता।
रात भर तो सदाओं से घिरा रहता हूँ मैं
सुबह उठते आँखों में ख्वाब नहीं होता।
छेड़छाड़ करता रहता हूँ  चांदनी से मैं
ख़फ़ा मुझ से कभी महताब नहीं होता।
मयकदा खुल गया घर के बगल में मेरे
हर वक्त मगर जश्ने शराब नहीं होता।
कुछ दाग़ ज़िन्दगी भर नहीं जाते
उम्र गुज़र जाती है छिपाते छिपाते।
इश्क़ का सौदा कर लिया था कभी
कटी रातें सब कर्ज़ चुकाते चुकाते।
चरागों की बस्ती में बहुत ही  ढूँढा
सितारे छिप गये   दिखते दिखाते।
भटकती हैं परछाइयां अब आवारा
बे सदा हो गईं गम सुनाते सुनाते।
जवानी  कब आई, चली गई  कब
थक गया आइना भी बताते बताते।
न जाने बादल यह घने कब छटेंगे
उम्मीद  टूटी आस लगाते लगाते।
परदेस से लौटकर आ तो गये तुम
ख़बर मिल गई हमें भी उड़ते उड़ाते।

2 COMMENTS

  1. में अपनी पहली पंक्ति माँ के नाम करता हूँ ,
    और दुनिया कि सभी माताओ को प्रणाम करता हूँ !
    बच्चो के जन्म का विचार जब मन में आता है,
    माँ -बाप का रोम रोम खुशिओ से झूम जाता है ,
    में अपनी जिंदगी कि सारी ख़ुशी उनके नाम करता हूँ
    और दुनिया कि सभी माताओ को प्रणाम करता हूँ !
    बच्चा जब नो महीने माँ कि कोख में पलता है,
    माँ बाप के जीवन में उम्मीद का नया दिया जलता है,
    उन्हें उम्मीद होती है दीये कि रौशनी कि,
    में सूरज कि सारी रोशनी उनके नाम करता हूँ,
    और दुनिया कि सभी माताओ को प्रणाम करता हूँ !
    नो महीने तक माँ बाप नई नई छवि बनाते है ,
    बच्चे के पैदा होने पर बधाई गीत गाते है ,
    में खुशिओ के सरे गीत उनके नाम करता हूँ !
    और दुनिया कि सभी माताओ को प्रणाम करता हूँ !
    माँ भूखी रहकर भी बच्चो को दूध पिलाती ,
    रात भर जगकर भी गोद के पलने में सुलाती है,
    इसीलिए माँ को भगवन मानकर ही,
    इनके चरणो कि वंदना सुबह शाम करता हूँ ,
    और दुनिया कि सभी माताओ को प्रणाम करता हूँ !

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