अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के तीन दिवसीय ५७ वें राष्ट्रीय अधिवेशन का उद्घाटन कार्यक्रम आज तालकटोरा स्टेडियम, नई दिल्ली में संपन्न हुआ.
विस्तृत समाचार पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें:
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के तीन दिवसीय ५७ वें राष्ट्रीय अधिवेशन का उद्घाटन कार्यक्रम आज तालकटोरा स्टेडियम, नई दिल्ली में संपन्न हुआ.
विस्तृत समाचार पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें:
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान पत्रकारिता ने जन-जागरण में अहम भूमिका निभाई थी लेकिन आज यह जनसरोकारों की बजाय पूंजी व सत्ता का उपक्रम बनकर रह गई है। मीडिया दिन-प्रतिदिन जनता से दूर हो रहा है। ऐसे में मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठना लाजिमी है। आज पूंजीवादी मीडिया के बरक्स वैकल्पिक मीडिया की जरूरत रेखांकित हो रही है, जो दबावों और प्रभावों से मुक्त हो। प्रवक्ता डॉट कॉम इसी दिशा में एक सक्रिय पहल है।
शीर्षक ने आकृष्ट किया तो स्वाभाविक था कि मैं विस्तृत विवरण की खोज करता.वह तो मिला नहीं.पर शीर्षक पढ़ कर मैं इतना ही कह सकता हूँ कि भारत को आज अवश्य आवश्यकता है गाँधी और विवेकानंद को न केवल स्मरण करने की,बल्कि उनके द्वारा बताये हुए मार्ग पर चलने की,पर क्या बाकई हम उसके लिए तैयार हैं?
Reply · Like · Unfollow Post · 8 hours ago
शीर्षक ने आकृष्ट किया तो स्वाभाविक था कि मैं विस्तृत विवरण की खोज करता.वह तो मिला नहीं.पर शीर्षक पढ़ कर मैं इतना ही कह सकता हूँ कि भारत को आज अवश्य आवश्यकता है गाँधी और विवेकानंद को न केवल स्मरण करने की,बल्कि उनके द्वारा बताये हुए मार्ग पर चलने की,पर क्या बाकई हम उसके लिए तैयार हैं?
शीर्षक ने आकृष्ट किया तो स्वाभाविक था कि मैं विस्तृत विवरण की खोज करता.वह तो मिला नहीं.पर शीर्षक पढ़ कर मैं इतना ही कह सकता हूँ कि भारत को आज अवश्य आवश्यकता है गाँधी और विवेकानंद को न केवल स्मरण करने की,बल्कि उनके द्वारा बताये हुए मार्ग पर चलने की,पर क्या बाकई हम उसके लिए तैयार हैं?