गर्मी के दिन, बड़े बड़े दिन,
तपती धूप जलन के ये दिन।
ये दिन बहुत सताते हैं,
परन्तु रसीले आम भी तो,
इनहीं दिनो ही आते हैं।
आम भी एक अनोखा फल है,
कच्चे वाले आम का पन्ना,
गर्मी से राहत दे जाता है।
और अचार आम का,
बेसुवाद खाने को भी,
लज़ीज बना कर जाता है।
कच्चे आम की मीठी चटनी,
उसका तो अंदाज़ अलग है,
उसकी तो कुछ बात अलग है,
बिन खाये ही नाम लिया तो,
मुंह मे पानी आ जाता है।
पके आम के रंग निराले,
हरे हरे,पीले पीले और सिंदूरी,
तरह तरह के आम रसीले,
इस मौसम की सौग़ात सजीले,
मलिहाबाद का हो दसहरी,
या हो फिर बनारसी लंगड़ा,
सबका स्वाद सुगंध अलग है,
फिर भी सारे भाई- बंध हैं।
रत्नागिरि के आफुस भाई,
सबसे महंगे आम हैं भाई,
चौंसा सफेदा भी कहाँ है सस्ते,
खेंच तान के बजट मे फंसते।
चाहें आम काट के खाओ,
चाहें मिल्क शेक बनाओ,
चाहें तो अमरस पी जाओ,
या फिर आइस क्रीम बनाओ,
लीची-आम कस्टर्ड बनाओ,
या फ्रूट क्रीम मे आम मिलाओ,
आम खाओ जी भर कर मित्रों,
बस, गर्मी गर्मी मत चिल्लाओ।
कविता पढ़ कर आम खाने का जी कर आया हूँ . बहुत खूब ! आम खरीदने
बाज़ार जा रहा हूँ .