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घन घन घण्ट देवालय टकोरे, अविरत गूँजे जा रहे हैं॥ - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
डॉ. मधुसूदन (१) घन घन घण्ट देवालय टकोरे,---अविरत गूँजे जा रहे हैं। मेरे भारत की आरति--आज, विश्व सारा गा रहा है॥ ---आनंद आकाश छू रहा है॥ (२) पांचजन्य* सुन, बज रहा है---हो रहा, विलम्बित *सबेरा। भोर की, आरति भारत की-----गा रहा है विश्व सारा ॥ घन घन घण्ट देवालय टकोरे,---अविरत…