(राघवेन्द्र कुमार “राघव”)
मैंने देखा खून आज , राह में गिरा हुआ ।
पूछा खून किसका है, कोई तो बताइए ।
क्या हुआ जो आप सब, क्रोध में उबल रहे ।
व्यर्थ ही सामर्थ्य आप, ऐसे ना जलाइए ।
खून कौन हिन्दू है, कौन खून मुसलमान ।
सिखों का है खून कौन आइए बताइए ।
जाति – पांति भेद भाव, सियासती उसूल हैं ।
नफरतों के बीज यूं, न घर – घर गिराइए ।
मैंने देखा खून आज, राह में गिरा हुआ ।
पूछा खून किसका है, कोई तो बताइए ।।