pravakta.com
गज़ल: तुम से मिलकर–सतेन्द्रगुप्ता - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
तुम से मिलकर, तुम को छूना अच्छा लगता है दिल पर यह एहसान करना, अच्छा लगता है। लबों की लाली से या नैनों की मस्ती से कभी चंद बूंदे मुहब्बत की चखना ,अच्छा लगता है। लाख छिप कर के रहे, लुभावने चेहरे , पर्दों में कातिल को कातिल ही कहना…