यूँ सबके हमदम होते हैं
दुख के दिन में कम होते हैं
साथ निभाये जो आफत में
लोग वही मरहम होते हैं
शायर चलता लीक छोड़कर
उसके यही नियम होते हैं
जो टकराते वक्त से जितना
वही असल दमखम होते हैं
जहँ टूटता दिल अपनों से
आँखों में शबनम होते हैं
जैसी फितरत इन्सानों की
वैसे ही मौसम होते हैं
सुमन करे चर्चा औरों की
हर बातों में हम होते हैं