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गजल:नये पत्ते डाल पर आने लगे-सजीवन मयंक - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
सजीवन मयंक नये पत्ते डाल पर आने लगे । फिर परिंदे लौटकर गाने लगे ।। जो अंधेरे की तरह डसते रहे । अब उजाले की कसम खाने लगे ।। चंद मुर्दे बैठकर श्मशान में । जिंदगी का अर्थ समझाने लगे ।। उनकी ऐनक टूटकर नीचे गिरी । दूर तक के…