pravakta.com
गजल-दुश्मनों के दुश्मनों का दोस्त बन-इकबाल हिंदुस्तानी - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
शुक्र है मौसम सुहाना हो गया, उनके आने का बहाना हो गया। तुम इसे चाहे कोर्इ भी नाम दो, मुल्क गै़रों का निशाना हो गया। हो हुकूमत पांच दिन तो ठीक है, राज बरसों का पुराना हो गया। बात कुछ भी हो विदेशी हाथ है, यह तो…