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गजल:जो दिल में रहते हैं - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
जो दिल में रहते हैं ,पास क्या वो दूर क्या चाँद के रु-ब-रु कोई ,लगता है हूर क्या। कितनी बार की हैं बातें, मैंने भी चाँद से छलका है मेरे चेहरे भी ,कभी नूर क्या। इस मुहाने पर हैं ,कभी उस मुहाने पर छाया रहता है दिल पर जाने सरूर…