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“सभी मत-मतान्तरों का ईश्वर एक है और उसके विधान सबके लिये एक समान हैं” - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। सृष्टि के आरम्भ से लेकर महाभारत युद्ध तक व उसके बाद कई शताब्दियों तक सारे विश्व में ईश्वर व उसके विधान को जानने के लिए वेद ही पूर्ण प्रामाणिक ग्रन्थ थे। इसका कारण यह है कि ईश्वर ने ही सृष्टि के आरम्भ में वेदों का ज्ञान…