pravakta.com
सुरमई शाम ढल रही है - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
राकेश कुमार सिंह सुरमई शाम ढल रही है, बेताबियाँ सीने पर, नस्तर चला रही है, आज फिर से उनका, ख्याल आ रहा है ! भोली सूरत, कजरारी आँखे, जुल्फें ऐसी, बादल भी सरमाये, उनकी यादो का, उन मुलाकातों का, प्यारा सरमाया, बेजार कर रहा है ! पहचान वो बर्षो पुराना,…