ग्राम सुराज-विश्वसनीय छत्तीसगढ़ का आधार

सुखदेव कोरेटी एवं पी.के.पांडेय

छत्तीसगढ़ सरकार की संवेदनशील कदमों ने छत्तीसगढ़ को विश्वसनीय छत्तीसगढ़ का दर्जा दिलाया है। राज्य में पिछले 7 वर्षो में हर वर्ग के लिये विकास के साथ -साथ संवेदनशील एवं मानवीय पहलुओं से जुड़े मामलों को भी बड़ी गंभीरता से लेते हुये लोगों को सहायता पंहुचाने के लिये असरकारक कदम उठाये गये हैं। जिनका लाभ समाज के अंतिम पंक्ति में खडे लोगों को मिला है। अधोसंरचना विकास से हर व्यक्ति को लाभ तो मिलता ही है। सरकार के कुछ ऐसे काम हैं जिससे नितांत जरूरतमंद तथा लाचार लोगों को व्यक्तिगत लाभ भी मिला है इसमें किसी समूह विशेष को लाभ पंहुचाने का मापदंड ना रखते हुये कोई व्यक्ति विपदा से पीड़ित है तो उन्हे भी तत्समय लाभ दिलाने की पहल व सहायता पंहुचाने के कार्य हुये हैं।

ग्राम सुराज अभियान भी शासन का एक ऐसा ही कदम है। इसमें शासन, प्रशासन उन लोगों तक पंहुचने का प्रयास किया जाता है जो शारीरिक दुर्बलता, अज्ञानता, या आर्थिक रूप से कमजोर अथवा भ्रम के मकड़ जाल में उलझे रहने के कारण प्रशासन अथवा शासन तक पंहुच कर अपनी समस्या को रख नही पाते तथा समाधान नही करवा पाते । इस स्थिति को दृष्टिगत रखते हुये राज्य शासन ने पिछले 2005 से गांवों में पंहुचकर ग्रामीणों की समस्याओं, आवश्यकताओं को जानने, समझने, तथा समाधान निकालने का कदम उठाया है। इस अभियान में ना केवल गांव व गांव वालों के विकास के मामले ही सुलझाये जाते बल्कि उनके दु:ख-सुख, असुविधाओं या बीमारी से राहत दिलाने के प्रयास भी होते हैं। सुराज दल ने प्रदेश में कुछ ऐसे मामले पाये हैं जहाँ लोगों ने स्वयं श्रम दान कर अपने गांव में सुविधाओं का विस्तार या निर्माण कर उसका लाभ सभी गांवों वालों को दिलाया है, ऐसे परोपकारी लोगों को राज्य शासन ने प्रोत्साहित कर उन लोगों को ऐसे कार्य करने के लिये प्रेरित किया गया है। ऐसे में सरकार के प्रति जनता में विश्वास जागने के अलावा जरूरतमंद तथा संकटग्रस्त लोगों के लिये आस्था व प्रेरणा की नयी उम्मीदें भी जागी है। सरकार की संवेदनशीलता के ऐसे कई उदाहरण हैं, जैसे कि प्रदेश में गरीबी के कारण किसी भी बेटी की शादी नही रूकेगी । गरीब परिवारों को अपनी बेटी की शादी के लिये चिंतित होने की जरूरत नही है। क्योंकि छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना लागू हैं और प्रदेश के मुख्य मंत्री डॉ. रमन सिंह जो गरीबों को ऐसी गारंटी व पिता सा प्यार देकर आश्वस्त करते हैं कि बेटी की शादी के लिये उन्हें चिंतित होने की जरूरत नही है। मैं हूँ ना। मुख्यमंत्री कन्यादान योजना कुछ ऐसी ही गांरटी प्रदान करती है। एक आंकडे क़े अनुसार इस योजना के तहत राज्य में अब तक गरीब परिवारों की करीब 25 हजार बेटियों की शादी हो चुकी है।

ऐसे ही मानवीय पहलुओं से जुड़ी संजीवनी परियोजना है। इसकी जितनी भी तारीफ की जाये- कम है जो दुर्घटनाग्रस्त तथा संकट के समय जीवनदान देने का कार्य करती है यानी जैसा नाम वैसा काम। विशेषकर सड़क दुर्घटनाओं में घायल व्यक्तियों तथा गर्भवती महिलाओं के लिये यह योजना वरदान साबित हुई है , क्योंकि इन्हें तत्काल चिकित्सा सुविधा दिये जाने की जरूरत होती है। यूं तों यह योजना वर्तमान में बस्तर व रायपुर जिले में शुरू की गयी है किन्तु शीघ्र ही प्रदेश भर में प्रारंभ की जायेगी। इस योजना की सबसे बड़ी विशेषता है कि जरूरतमंद व्यक्ति द्वारा नम्बर 108 डायल करने पर महज आधे घंटे के भीतर सर्व सुविधायुक्त एम्बुलेन्स एवं पैरामेडिकल स्टॉफ समय पर उपलब्ध हो जाती है यह 24 घंटे की नि:शुल्क सेवा योजना है। 26 जनवरी 2011 से प्रारंभ हुई संजीवनी एक्सप्रेस ने तकरीबन 4000 से अधिक लोगों को सुरक्षित अस्पताल पंहुचाकर जान बचाकर पुण्य का काम किया है।

नक्सल पीड़ित परिवार व उनके बच्चों के भविष्य के प्रति भी सरकार संवेदशील है । यहॉ के नक्सल पीड़ित बच्चों की शिक्षा, उनके समुचित पुर्नवास तथा प्रशिक्षण आदि आवश्यकता की पूर्ति के लिये मुख्यमंत्री ने बाल भविष्य योजना शुरू की है। वर्तमान में करीब 600 बच्चों को इस योजना का लाभ मिल रहा हैं। ऐसे बच्चों को सुरक्षित रखने तथा शिक्षा प्रदान करने हेतु रायपुर, दंतेवाड़ा तथा राजनांदगांव में आश्रम संचालित है। ऐसे जन आकांक्षाओं, समस्याओं के प्रति अपनी संवेदनशीलता व विभिन्न योजनाओं व कार्यक्रमों के कारण छत्तीसगढ़ राष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशिष्ट पहचान बनाने में सफल रहा है। कई क्षेत्रों में तो राज्य ने अल्प समय में ही अपनी श्रेष्ठता स्थापित की है। एक समय, जब छत्तीसगढ़ को अन्य क्षेत्र या राज्य के लोग धान उपजाऊ क्षेत्र के साथ-साथ अशिक्षित एवं अंधविश्वासी तथा पुरानी धारणाओं से जकड़े जीवन जीने वाले राज्य के रूप में देखते थे, लेकिन अब वह दिन गुजरे जमाने की बात है।

छत्तीसगढ़ की पी.डी.एस. सार्वजनिक खाद्यान्न वितरण प्रणाली ने देश में एक मिसाल पेश की है, वही प्रति व्यक्ति वार्षिक आय तथा औद्योगिक विकास के क्षेत्र में भी अपने साथ अस्तित्व में आये अन्य राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। गांव , गरीब, किसान छत्तीसगढ़ के विकास की धूरी हैं इसलिये यहाँ की सरकार ने ” सबके साथ सबका विकास” की परिकल्पना को मूर्त देने कारगर कदम उठाये हैं। यह सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों में नही बल्कि शहरी क्षेत्रों में भी कार्य कर रही है। शासन पानी बचाने के लिये भी संवेदनशील है। नदियों के जल का बेहतर उपयोग की बात हो या हरियाली बचाये रखने की, प्रदेश में खेलों के विकास की बात हो या खिलाड़ियों को प्रशिक्षण व सुविधाये देने की बात, मेहनत करने वाले मजदूरों की बात हो या पसीना बहाकर काम करने वालों किसानों की, शहरी क्षेत्रों की बात हो या ग्रामीण क्षेत्रों के विकास की बात। नया रायपुर परियोजना के तहत शामिल 41 गांवों को बिना विस्थापित किये उन्हें राजधानी की बराबरी में लाने का प्रयास उल्लेखनीय है। इस विश्व स्तरीय विशेषता वाली परियोजना को राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार, प्रशंसा व सम्मान प्राप्त हुआ है। राज्य की नयी राजधानी परियोजना को केन्द्र शासन द्वारा श्रेष्ठ परियोजना का पुरस्कार दिया गया है। वास्तव में छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है जिसने अपने यहॉ की लाखों असंगठित मजदूरों के लिये कल्याणकारी योजनायें बनायी है जिसके तहत निमार्ण कार्यो से जुडे पंजीकृत राज मित्रियों को कर्मकार कल्याण मंडल द्वारा प्रशिक्षण दिये जाने की व्यवस्था की है, वहीं शिक्षित बेरोजगारों के लिये प्रदेश के जिला मुख्यालयों पर प्रतिष्ठित उद्योगों में रोजगार दिलाने का निर्णय लेकर क्रियान्वित किया जा रहा है। जिला मुख्यालयों में रोजगार मेला आयोजित किये जाते हैं जिसका सीधा लाभ हजारों जरूरतमंद बेरोजगारों को मिला है और उनके जीवन में सुखद भविष्य की किरणें जागी है।

प्रत्येक क्षेत्र में चाहे वह स्वास्थ्य की बात हो या चिकित्सा सुविधाओं की, कृषि की बात हो या व्यापार व वाणिज्य की, स्कूली शिक्षा की बात हो या उच्च शिक्षा की, सारक्षता दर वृध्दि की बात हो या ग्रामीण क्षेत्रों में शासकीय योजनाओं के प्रति जागरूकता की- कोई माने या न माने तरक्की व बेहतरी तो हुई है और अपने प्रादुर्भाव के प्रारंभिक दस वर्षो में ही छत्तीसगढ़ तेजी से समग्र विकास करने वाला राज्य बन गया है। फिर हमें यह समझना चाहिये कि लोगों की भी आवश्यकता बढ़ती जा रही है आवश्यकता ही समस्याओं की जननी होती है किन्तु ध्यान देने की बात यह है कि उन समस्याओं के प्रति सरकार क्या बेफिक्र है? नही, ऐसा नही है। अब आप ग्राम सुराज अभियान को ही लीजिये – यदि ग्राम सुराज अभियान में प्राप्त होने वाले आवेदनों की संख्या बढ़ती है तो इसका अर्थ यह हुआ कि ग्रामीण जन सरकारी योजनाओं से लाभ लेने के प्रति , अपने अधिकारों के प्रति अधिक जागरूक हुये हैं।

शासन की योजनाओं को बनाने व लागू करने के पीछे कही भी राजनीतिक स्वार्थ नहीं रहा है, क्योंकि यदि ऐसा होता है तो सरकार केवल उन्ही लोगों के लिये योजनायें बनाती जिनकी उम्र 18 वर्ष से अधिक है किन्तु ऐसा नही है । अनेक योजनायें बच्चों के लिये हैं, जैसे बाल हृदय योजना, बाल-श्रवण योजना व मुस्कान योजना।

उल्लेखनीय है जैसा कि राज्य के मुख्यमंत्री जी ने स्वयं इंगित किया है-” राज्य सरकार की अनेक जन-कल्याणकारी योजनाये ग्राम सुराज अभियान की देन है। तेंदुपत्ता संग्रहकों के लिये चरण-पादुका योजना, प्रदेश के लाखों गरीब परिवारों के लिये नि:शुल्क नमक और मात्र एक रूपये और दो रूपये किलों में हर महीने 35 किलो चावल वितरण की योजना , कुपोषण मुक्ति अभियान , गरीब परिवारों के हृदय रोग से पीड़ित बच्चों के लिये बाल हृदय सुरक्षा योजना , कटे-फटे होंठ वाले लोगों और विशेष रूप से बच्चों की नि:शुल्क सर्जरी के लिये मुस्कान योजना, मूक बधिर बच्चों के नि:शुल्क ऑपरेशन के लिये बाल -श्रवण योजना, किसानों के 5 हॉर्स पावर तक सिंचाई पम्पों को सलाना छ: हजार यूनिट नि:शुल्क बिजली देने की योजना सहित कई योजनायें ग्राम सुराज अभियान में जनता की जरूरतों को गंभीरता से समझकर तैयार की गयी है” और इसे यदि ग्राम सुराज अभियान की सबसे बड़ी उपलब्धि कही जाये तो अतिशयोक्ति नही होगी।

 

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