हैकर्स भी स्मार्ट, रहिएगा चौकन्ना

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श्री रवि कुमार

साइबर एक्सपर्ट्स की मानें तो इंटरनेट पर पूरी तरह से निजी कुछ भी नहीं हैं। किसी भी तरह की फाइल एक बार ऑनलाइन होने के बाद 100 % सुरक्षित नहीं रह पाती हैं। यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने १ जुलाई, 2015 को डिजिटल इंडिया प्रोग्राम लांच किया था। इसका मुख्य उद्देश्य हरेक नागरिक को डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराना रहा है ताकि उन्हें डिजिटली रूप से सशक्त किया जाए, लेकिन साइबर क्रिमिनल्स इसके विपरीत दिशा में उतनी ही तेजी से सिस्टम को हैक करने के नायब तरीके ईजाद कर लेते हैं। हाल ही में एक बड़ा केस -पेगासस सामने आया है, जिसने हर किसी के दिमाग को झकझोर के रख दिया है। इंटरनेशनल एजेंसियां दावा कर रही हैं, भारत के 300 से अधिक नामचीन पत्रकारों, राजनेताओं आदि की जासूसी पेगासस स्पाइवेयर से करवाई जा रही हैं। इसे इजरायली सॉफ्टवेयर कंपनी एनएसओ ग्रुप ने विकसित किया है। इसे लेकर संसद में सरकार और विपक्ष के नेताओं में काफी टकराव भी हुआ है। इसमें सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ सुनवाई कर रही है। हक़ीक़त यह है, दुनियाभर में 4.57 बिलियन लोग इंटरनेट की गिरफ्त में हैं। इंटरनेट की दुनिया में धोखे बहुत हैं, इसीलिए संभल कर चलने की दरकार है। सिम क्लोनिंग जैसी हाई टेक्नोलॉजी का उपयोग ऑनलाइन ठगी में हो रहा है।

रवि कुमार

कंप्यूटर विज्ञान के क्षेत्र में नित नई तकनीक ईज़ाद होती रहती है।  टेक्नोलॉजी का इन्वेंशन मानव हित के लिए होता है, लेकिन समाज के मुट्ठी भर शातिर इस तरह की टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग कर लोगों को आर्थिक हानि पहुंचाते हैं। इन आपराधिक प्रवृत्ति वाले लोगों को आपराधिक दुनिया में साइबर क्रिमिनल्स के नाम से जाना जाता है। साइबर क्राइम दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहा है। याद रहे, इंटरनेट दूसरों से बातचीत ,स्टडी ,मनोरंजक वीडियो, छायाचित्र देखने का एक उम्दा प्लेटफार्म हैं। कहते हैं, सावधानी हटी – दुर्घटना घटी… यानी एक छोटी- सी गलती आप का बड़ा नुकसान करवा  सकती है। साइबर एक्सपर्ट्स की मानें तो इंटरनेट पर पूरी तरह से निजी कुछ भी नहीं हैं। किसी भी तरह की फाइल  एक बार ऑनलाइन होने के बाद 100 % सुरक्षित नहीं रह पाती हैं। यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 1 जुलाई, 2015 को डिजिटल इंडिया प्रोग्राम लांच किया था। इसका मुख्य उद्देश्य हरेक नागरिक को डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराना रहा है ताकि उन्हें डिजिटली रूप से सशक्त किया जाए। लेकिन साइबर क्रिमिनल्स इसके विपरीत दिशा में उतनी ही तेजी से सिस्टम को हैक करने के नायब तरीके ईजाद कर लेते हैं। हाल ही में एक  बड़ा केस -पेगासस सामने आया है, जिसने हर किसी के दिमाग को झकझोर के रख दिया है। इंटरनेशनल  एजेंसियां दावा कर रही हैं, भारत के 300 से अधिक नामचीन पत्रकारों, राजनेताओं आदि की जासूसी पेगासस स्पाइवेयर से करवाई जा रही हैं। इसे इजरायली सॉफ्टवेयर कंपनी एनएसओ ग्रुप ने विकसित किया है। इसे लेकर संसद में सरकार और विपक्ष के नेताओं में काफी टकराव भी हुआ है। इसमें सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ सुनवाई कर रही है। हक़ीक़त यह है, दुनियाभर में 4.57 बिलियन लोग इंटरनेट की गिरफ्त में हैं। इंटरनेट की दुनिया में  धोखे बहुत हैं, इसीलिए संभल कर चलने की दरकार है। सिम क्लोनिंग जैसी हाई टेक्नोलॉजी का उपयोग ऑनलाइन ठगी में हो रहा है।

साइबर ठगी के अनोखे  तरीके

अक्सर साइबर ठग बैंक कॉस्टमर्स से सपोर्ट अधिकारी या अन्य अफ़सर बनकर चिकनी -चुपड़ी बातों से भले-मानुसों को फ़ोन काल करके उनके व्यक्तिगत डिटेल्स पूछ लेते हैं। व्हाट्सएप ,जीमेल, फेसबुक सरीखे प्लेटफॉर्म्स पर लाटरी, मेगा ऑफर जैसे लुभावने सन्देश देते /आते है। फ़ोन काल कर लोगों को फंसाया जाता है कि मैं आप का दोस्त ,रिश्तेदार या सगा सम्बन्धी बात कर रहा हूँ। मुझे फाइनेंसियल सहायता की जरूरत है। हैकर्स अपने गूगल पे या फ़ोन पे नंबर पर मनी ट्रांसफर करने का अनुरोध करते  हैं। कहने का अभिप्राय है, पूरी तरह से इमोशनली ब्लैकमेल करते है। हैकिंग के लिए आजकल रिमोट असिस्टेंस सॉफ्टवेयर भी काफी प्रचलन में है। इसमें हैकर के जरिए विक्टिम को एक एप्लीकेशन की लिंक और विशेष प्रकार का कोड  भेजा जाता है, जिसको एंटर करने के पश्चात व्यक्ति अपने मोबाइल का सम्पूर्ण कण्ट्रोल हैकर को दे बैठता है। हैकर्स फेसबुक अकाउंट की क्लोनिंग भी करते है। ऐसा करके हैकर्स विक्टिम की फ्रेंड लिस्ट में दर्ज लोगों से पैसे ऐंठ लेते हैं । बाजार में उच्च तकनीक से लेस जासूसी टूल्स भी उपलब्ध हैं, जिनकी सहायता से हैकर एक फ़ोन कॉल मात्र करने से विक्टिम को बिना बताए उसके फ़ोन को पूरी तरह अपने कण्ट्रोल में कर सकता हैं। यूजर को भनक तक नहीं लगती। इस प्रकार साइबर क्रिमिनल्स गिरगिट की तरह रंग बदलकर और सुरक्षा बंदोबस्त को चकमा देकर आपराधिक गतिविधियों को अमलीजामा पहना देते हैं। इसी से अनुमान लगाया जा सकता है, साइबर दुनिया में आने वाला टाइम कितना भयावह होगा, सोच के भी कंपन होती है।

आमजन बरतें ये सावधानियां

किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को फ़ोन काल या व्हाट्सएप, फेसबुक मैसेज के जरिए अपनी कोई भी व्यक्तिगत जानकारी न दें। किसी भी अज्ञात लिंक, इमेज को खोलकर उसमें अपनी डिटेल्स न भरें। अनजान विदेशी नंबरों से आने वाली कॉल्स को कतई अटेंड न करें। आजकल सभी मोबाइल फ़ोन्स में सिक्योरिटी फीचर्स के तौर पर किसी भी अनजान नंबर को रिपोर्ट और ब्लॉक करने का फीचर आता है, जिनके जरिए  परेशान करने वाले सभी नंबर्स से छुटकारा पाया जा सकता है। फ्री इंटरनेट चलाने के लालच में किसी बाहरी वाई-फाई से अपने फ़ोन या लैपटॉप को कनेक्ट न करें। ऐसी सभी वेबसाइट जिनके शुरू में https: न लगा हो। भ्रामक वेबसाइट को कभी अपने ब्राउज़र में ओपन न करें।अपने फ़ोन के कैमरे से कभी आपत्तिजनक फोटग्राफ्स न लें । फ़ोन या कंप्यूटर सिस्टम में हमेशा टोटल सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर का उपयोग करें , ताकि किसी भी प्रकार के ऑनलाइन अटैक से बचा जा सके। सिस्टम को हमेशा मज़बूत पासवर्ड से सुरक्षित रखें। पासवर्ड को कभी भी किसी दूसरे के साथ साझा न करें । ऑनलाइन हेल्प  के लिए सरकार ने ट्विटर, फेसबुक पर @cyber Dost के नाम से ऑफिसियल पेज बनाए हुए है, समय- समय पर साइबर क्राइम से बचने के लिए सुझाव और अन्य जानकारियां पेज पर डालते रहते हैं। ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने के लिए  https://www.cybercrime.gov.in/  या 155260 पर काल करें। रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने कमर कसके और आम जनता को जागरूक करने के लिए एसएमएस और मिस्ड कॉल की व्यवस्था को लागू किया हुआ है। रिज़र्व बैंक की ओर से बिग बी को टीवी एंड सोशल मीडिया पर हैकर्स से सावधान रहने की हिदायत देते हुए आपने अक्सर देखा और सुना होगा। 

एक नजर साइबर क्राइम के आंकड़ों पर

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार 2018 में  देश में  साइबर अपराधों  की संख्या 27,248 थी।  2019 में बढ़कर यह संख्या 44,735 हो गई, लेकिन कोरोना काल को साइबर आपराधियो ने अवसर में बदल लिया और एकदम से साइबर क्राइम में उछाल आया, जो  बढ़कर 50,035 के आकंड़ो को छू गया। 2019 से 2020 तक 11. 8% की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। 2019 के आंकड़ों  के अनुसार प्रति लाख जनसँख्या साइबर अपराध 3. 3 % थे। 2020 में इसका प्रतिशत बढ़कर 3. 7 % हो गया। यह आंकड़ा दिन प्रतिदिन बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। राज्यों की स्थिति पर नज़र डाली जाए तो देश भर में उत्तर प्रदेश साइबर क्राइम में अव्वल है। यूपी में 2019 में सबसे अधिक 11,097  साइबर क्राइम हुए। यह चिंतनीय है। कर्नाटक में 10,741,महाराष्ट्र में 5,496, तेलंगाना में 5,024 जबकि असम में 3,530 साइबर अपराध हुए हैं ।

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