हाफि़ज़ सईद: खुदापरस्त या मानवता का दुश्मन?

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तनवीर जाफ़री

पाकिस्तान स्थित तथाकथित समाजसेवी संगठन तथा आतंकवादियों को संरक्षण व सहायता पहुंचाने वाले आतंकवादी संगठन जमाअत-उद-दावा के प्रमुख हाफि़ज़ सईद ने तो गोया भारत का ताउम्र विरोध करने के साथ-साथ मानवता के साथ भी स्थाई दुश्मनी करने का फैसला कर लिया है। खुद को खुदापरस्त बताने वाले हांफिज़ सईद का नफ़रत के विरूध्द ज़हर उगलना या उसका भारत विरोधी साजिशें रचना कोई नई और खास बात नहीं है। जम्‍मू-कशमीर राय में आतंकवाद को बढ़ावा देने से लेकर मुंबई के 2611 के हमलों तक हाफि़ज़ सईद ने तमाम ऐसे भारत विरोधी अभियानों को संरक्षण प्रदान किया है और कर रहा है जो कि न केवल भारत व पाकिस्तान के रिश्तों में सामान्य हालात पैदा करने में बाधक सिद्ध हो रहे हैं बल्कि उसकी ऐसी ग़ैर इंसानी गतिविधियों के परिणामस्वरूप कभी-कभी इन दोनों देशों के बीच कड़वाहट फैलने की संभावना भी बढ़ जाती है। परंतु मानवता विरोधी इस तथाकथित धर्मगुरू रूपी आतंकवादी सरगना पर पाकिस्तान सरकार शिकंजा कसने में हमेशा नाकाम नार आती है। और पाकिस्तान में हाफि़ज़ सईद का सरेआम घूमना-फिरना, भारत के विरूध्द ज़हर उगलना, सांप्रदायिकतापूर्ण बातें करना तथा पाकिस्तान सरकार के भारत के साथ प्रस्तावित एवं लंबित पड़े द्विपक्षीय कूटनीतिक संबंधों पर नुक्ताचीनी करते रहना राजनैतिक विशेषकों को पकिस्तान सरकार तथा पाकिस्तान सेना के विषय में बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करता है।

भारत व पाकिस्तान के मध्य गत् 30 मार्च को विश्व कप क्रिकेट प्रतियोगिता का सेमीफाईनल मैच भारत के मोहाली क्रिकेट स्टेडियम में खेला गया। इस मैच को दोनों ही देशों के सरबराहों ने एक शुभ अवसर के रूप में लेते हुए क्रिकेट डिप्लोमेसी का परिचय दिया था। भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पाक प्रधानमंत्री युसुफ़ गिलानी को मैच देखने हेतु आमंत्रित किया। मनमोहन सिंह के इस निमंत्रण को गिलानी ने स्वीकार किया तथा एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधि मंडल के साथ मोहाली आए। क्रिकेट देखने के बहाने दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच उच्च स्तरीय वार्ता हुई तथा क्रिकेट डिप्लोमेसी के अंतर्गत हुई इस वार्ता को दोनों ही देशों के नेताओं व अधिकारियों ने सार्थक तथा सकारात्मक वार्तालाप बताया। हालांकि पाकिस्तान की क्रिकेट टीम भारत के हाथों पराजित हो गई। परंतु इसके बावजूद इसी खेल के बहाने दोनों देशों के मध्य मधुर संबंध स्थापित करने की दिशा में जो कदम आगे बढ़ाए गए उसका भारत व पाकिस्तान दोनों ही देशों की जनता ने भी स्वागत किया।

दरअसल भारत व पाकिस्तान की जनता तथा इन दोनों देशों के शासक ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया यह भलीभांति महसूस करती है कि परमाणु शक्ति संपन्न इन दोनों ही पड़ोसी देशों के मध्य मधुर एवं सामान्य संबंध ही रहने चाहिए। इन दोनों देशों के मध्य तनावपूर्ण वातावरण केवल दक्षिण-एशिया ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की शांति के लिए खतरा हो सकता है। परंतु स्वयं को पाकिस्तान तथा दुनिया के मुसलमानों का शुभचिंतक बताने वाला स्वयंभू खुदापरस्त हाफि़ज़ सईद, भारत-पाक संबंध तथा विश्व शांति जैसी बातों को हाम नहीं कर पाता। एक ओर पाक प्रधानमंत्री अपने मंत्रिमडलीय साथियों तथा उच्चाधिकारियों के उच्चस्तरीय प्रतिनिधि मंडल के साथ भारत का दौरा करने आते हैं तो दूसरी ओर मानवता का यह दुश्मन तथाकथित धर्मगुरु हाफि़ज़ सईद पाकिस्तान में ही संसद के समक्ष खड़े होकर पाक सरकार को भारत-पाक रिश्ते सुधारने के लिए मना करता है तथा उन्हें तरह-तरह की धमकियां व चेतावनियां देता नार आता है। और पाकिस्तान सरकार है कि हाफि़ज़ सईद के पाक सरकार विरोधी तथा भारत विरोधी भाषण को सार्वजनिक रूप से सुनने के लिए मजबूर नार आती है। और पाकिस्तान सरकार की इस कमाोरी व मजबूरी का फायदा उठाता हुआ हाफि़ज़ सईद पाक अवाम के दिलों में भारत विरोधी ज़हर घोलता रहता है।

पिछले दिनों जम्‍मू-कश्मीर में एक प्रसिद्ध धर्मगुरु मौलाना शौकत अली कीआतंकवादियों द्वारा हत्या कर दी गई। गौरतलब है कि मौलाना शौकत अली कश्मीर के उन अमनपरस्त लोगों में से थे जिन्होंने गत् वर्ष जम्‍मू-कश्मीर में सुनियोजित ढंग से पुलिस बल पर होने वाली पत्थरबाजी की अनियंत्रित घटनाओं का सार्वजनिक रूप से विरोध किया था तथा इसकी निंदा की थी। जबकि पत्थरबाजी की घटनाओं को अलगाववादियों तथा आतंकवादियों का समर्थन प्राप्त था। लिहाजा समझा जा सकता है कि मौलाना शौकत अली की हत्या श्रीनगर में किन शक्तियों द्वारा की गई होगी? परंतु भारतीय कश्मीर के लोगों से अपनी हमदर्दी जताने का ढोंग करने के लिए उनके जनाजे की नमाज पाक राजधानी इस्लामाबाद में प्रेस क्लब के सामने सड़कों पर पढ़ाई गई। इस्लामाबाद का यह प्रेस क्लब पाकिस्तानी संसद से कुछ ही दूरी पर स्थित है। इस गायबाना(गुप्त रीति से) नमाज-ए-जनाजा को जमाअत-उद-दावा प्रमुख हाफि़ज़ सईद ने पढ़ाया। नमाज के बाद जमाअत-उद-दावा के तमाम नेताओं द्वारा भारत सरकार के विरुध्द जमकर णहर उगला गया तथा पाकिस्तान सरकार को भी दोनों देशों के बीच संबंध सुधारने के विरुध्द चेतावनी दी गई।

हाफि़ज़ सईद ने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान द्वारा भारत के साथ दोस्ती करने से कश्मीर समस्या का समाधान कतई नहीं होगा। उसने ज मू-कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाया। उसने पाक सरकार को यह चेतावनी भी दी कि पाकिस्तान सरकार कश्मीर नीति का फिर से आंकलन करे तथा कश्मीर मुद्दे को लेकर भारत के साथ कोई समझौता न करे। सईद ने दुनिया के मुसलमानों को बरगलाते हुए यह भी कहा कि मुसलमान अब अपने लक्ष्य को समझ चुके हैं। उसने कहा कि पाकिस्तानी अवाम को पाक सरकार का क्रिकेट डिप्लोमेसी के नाम पर भारत के साथ दोस्ती बढ़ाने का यह रवैया कुबूल नहीं है। उसने यह भी पुन: स्पष्ट किया कि हम कश्मीरियों के साथ हैं तथा उनका साथ निभाएंगे। गौरतलब है कि हाफि़ज़ सईद का यह जहरीला भाषण जिस स्थान पर दिया जा रहा था वहां से थोड़ी दूर स्थित संसद में भी उसकी यह आवाज सांफ सुनी जा सकती थी। उसने पाक सांसदों को अपनी ओर मुखातिब करते हुए यह अपील की कि वे भारत के साथ दोस्ती बढ़ाए जाने का समर्थन हरगिज न करें। इतना ही नहीं बल्कि हाफि़ज़ सईद ने चेतावनी भरे लहजे में एक बार फिर अपना वही राग यहां भी दोहराया कि जब अमेरिका तथा उसके नेतृत्व में लड़ने वाली नाटो सेना इराक व अफगानिस्तान जैसे देशों में अपने पांव नहीं जमा सकीं तथा इन दोनों ही देशों से अमेरिकी सेनाएं वापस जाने का बहाना तलाश कर रही हैं ऐसे में भारत अधिक समय तक कश्मीर पर अपना नियंत्रण हरगिज नहीं रख सकता।

हाफि़ज़ सईद की इस प्रकार की चेतावनीपूर्ण बयानबाजी उसके मंकसद, उसकी नीयत तथा उसके इरादों को साफतौर पर बयान करती है। 26/11 के मुंबई हमलों का जिम्‍मेदार तथा गिरं तार किया गया एकमात्र जीवित आतंकवादी अजमल क़साब अपने इंकबाल-ए- जुर्म में हाफि़ज़ सईद की 2611 के अपराध में संलिप्तता के विषय में सब कुछ बता चुका है। परंतु पाकिस्तान सरकार हाफि़ज़ सईद पर नियंत्रण करना या उसे प्रतिबंधित करना तो दूर बल्कि ऐसा प्रतीत होता है कि उसे पाकिस्तान में चारों ओर घूम-घूम कर भारत विरोधी वातावरण तैयार करने में उसकी सहायता ही कर रही है। हाफि़ज़ सईद सामाजिक सेवा के नाम पर, मदरसों व अस्पतालों के बहाने तथा गरीबों में मदद पहुंचाने के नाम पर आम पाकिस्तानियों के मध्य विशेषकर एक विशेष इस्लामी विचारधारा के अनुयाईयों के मध्य अपनी लोकप्रियता बढ़ाता जा रहा है। वह हमेशा धर्म व समुदाय के नाम पर पाकिस्तान के मुसलमानों को बरगलाता रहता है तथा उन्हें दुनिया से अलग-थलग करने की साजिश का सरगना बना रहता है। पाकिस्तान में हाफि़ज़ सईद जैसे तमाम आतंकवादी सरग़नाओं की मौजूदगी तथा इनके जहरीले विचारों तथा कारनामों ने ही पाकिस्तान को न केवल दुनिया से अलग-थलग कर दिया है बल्कि तमाम देश पाक को आतंकी राष्ट्र घोषित करने जैसी बातें भी करने लगे हैं। पाकिस्तान में सक्रिय ऐसी ही आतंकी तथा फिरकापरस्त तांकतों के सहयोग से ही तालिबानी तांकतें पाकिस्तान में अपने शिकंजे कस चुकी हैं। और इन्हीं मानवता विरोधी शक्तियों की सक्रियता के परिणामस्वरूप ही पश्चिमी तांकतों को पाकिस्तान जैसे देशों में अपने पैर रखने का सुनहरा बहाना मिलता है। लिहाजाा ऐसे में पाक सरकार, पाक अवाम तथा दुनिया के मुसलमानों को यह स्वयं सोचना होगा कि हाफि़ज़ सईद जैसा सांप्रदायिक एवं कट्टरपंथी मानसिकता का व्यक्ति सच्चा खुदापरस्त है पाकिस्तान या मुसलमानों का हमदर्द है या फिर मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन?

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  1. तनवीर जाफरी साहब बहुत ही समसामयिक लेख लिखा है आपने पर यह सोच रखनेवाले बेहद कम लोग अपनी भावनाओं का आप की तरह इज़हार कर पाते हैं, शर्म आनी चाहिए हाफ़िज़ सईद को जो काश्मीर में मारे गए मौलाना शौकत अली के लिए जनाज़े की नमाज़ इस्लामाबाद में अता करता है लेकिन लिबीया में मारे जा रहे हज़ारों जी हाँ हज़ारों मुसलामानों के लिए जिन्हें जनाज़े की नमाज़ मयस्सर नहीं हो पा रही उनके लिए एक शब्द नहीं है इसके पास बहुत ही ज़लील इंसान है यह.

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