जय हो बदलीराम की

पंडित सुरेश नीरव

समाज सेवी बदलीरामजी के नागरिक अभिनंदन का धुआंधार जलसा बड़े जोर-शोर से आज संपन्न हुआ। शहर के स्थानीय लोग इसे जिले स्तर का कोमनवेल्थ गेम मान रहे हैं। सारा प्रशासन शासन के कंधे-से-कंधा मिलाकर बदलीरामजी के सम्मान सर्कस को सफल बनाने में जुटा रहा। बदलीरामजी का पराक्रम है ही कुछ ऐसी डिजायन का कि सरकार चाहे किसी भी पार्टी की हो बदलीरामजी की समाज सेवा का अखंड यज्ञ निर्बाध गति से चलता ही रहता है। औग आज भी चल रहा है। बदलीरामजी की समाज सेवा का जलवा आज तक कभी पचास ग्राम भी कम नहीं हुआ। और उस पे तुर्रा ये कि समाज सेवा के लिए बदलीरामजी को कभी समाज के सामने नहीं जाना पड़ता,समाज खुद बदलीरामजी को ढूंढता हुआ उनके पास पहुंच जाने को ललायित रहता है। समाज उनके चरण-कटहल में साष्टांग दंडवत करते हुए घिघियाता है- प्लीज हमारी सेवा करके कृपया हमें ऑब्लाइज कर दीजिए प्रभु। हे कृपालु निधान भंवर में फंसी हमारी नैया भी पार लगा दो। बदलीरामजी  का जैसा नाम है वैसा ही काम है। वैसे हजार किलोमीटरों तक बदलीरामजी का सावन के बादल से कहीं कोई नैतिक-अनैतिक संबंध नहीं है। शेरशाह सूरी से जान बचाते हुए हुमांयु के पुत्र अकबर का जैसे जन्म हुआ था ठीक उसी तर्ज पर बदलीरामजी का जन्म-प्रकटोत्सव भी सरकारी मुलाजिम इनके पिताजी की बदली के दौरान ट्रेन के सफर में हुआ था। इस तरह इस महान विभूति ने मृत्युलोक में अवतार लिया था। इसलिए ही भैयाजी कालांतर में बदलीरामजी के नाम से मशहूर हुए। ट्रांसफर उद्योग के महामानव हैं- बदलीरामजी। समाज में जिसका भी कहीं ट्रांसफर होता है वह फटाक से जा पहुचता है- बदलीरामजी के दरबार में। ट्रांसफर पीढित कर्मचारी की लाइफ लाइन हैं- हमारे बदलीरामजी। बदली के बुखार से शर्तिया छुटकारा दिलानेवाले ट्रासफरलॉजी के सिद्ध हकीम। ट्रासफर करवाना और ट्रांसफर रुकवाना दोनों की इन्हें सिद्धियां प्राप्त हैं। देवताओं की बिरादरी में जो स्टेटस शनि महाराज का है ट्रासफर के दिव्यलोक में वही दर्जा बदलीरामजी को हासिल है। इनकी साढ़े साती नहीं तो ढैया तो जिले के सभी कर्मचारी झेल चुके हैं। भेंट-पूजा और रिजर्वबैंक के करारे पत्रं-पुष्पं से ही इन्हें खुश किया जा सकता है। हर विभाग के कर्मचारी ट्रासफर के कालसर्प योग में बदलीरामजी की तावीज ही भुजा में बांधकर अपने प्राण बचाते हैं। बदलीरामजी की लीलाएं अलौकिक हैं। मंत्री से लेकर संत्री तक सभी के इष्टदेव हैं- बदलीरामजी। कुछ दुष्टात्माएं इस पतित-पावन पुरुष को दलाल कहकर उनकी छवि को मलिन करना चाहते हैं। मगर निंदा और प्रशंसा से निर्लिप्त रहकर वीतरीगी बदलीरामजी अपनी अखंड साधना में आज तक लगे हुए हैं। बदलीरामजी की इसी प्रचंड साधना का आज कृतज्ञ शहर ने ताबड़तोड़ सम्मान किया है। खबर है कि प्रदेश के संवेदनशील मुख्य मंत्री ने बदलीरामजी की निस्वार्थ समाज सेवा से प्रभावित होकर पद्मविभूषण के लिए उनके नाम की सिफारिश कर अपना नैतिक फर्ज़ निभा दिया है। ईमानदारी से प्रतिभा का सम्मान कराना भारत की राजनीति का सनातन चरित्र है। प्रदेश के दुर्लभ गौरव हैं- बदलीरामजी। बदलीरामजी की जय हो..।

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