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हरम - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
अमित राजपूत कष्ट था उसे, जो उसको अंदर तक द्रवित कर रहा था। लेकिन उसके आंसुओं की भरी-मोटी बूंदों को देखकर लग रहा था कि ये कष्ट उसके द्वारा मजबूरी में किये गये किसी न्यौछावर के हैं। अजीब तो लग ही रहा था मुझे उसका इस तरह से झुंझलाकर ऑडीटोरियम…