भूमि की अदाकारी में दिख रही दम लगा के हइशा मेहनत

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विवेक कुमार पाठक
जो एक हद से ज्यादा मोटी मगर चुलबुली और अपने में मस्त रहने वाली लड़की पर्दे के पीछे थी वो अब पर्दे पर आकर धमक दिखला रही थी। बधाई यशराज फिल्मस बधाई आदित्य चोपड़ा नई प्रतिभाओं को ढूंढ़ने और उन्हें पर्दे पर लाने के लिए। वो नवोदित अभिनेत्रियों में प्रतिभावना चेहरा हैं।
जीहां हम दम लगा के हइशा वाली वजनदार भूमि पेंढारकर की बात ही कर रहे हैं। वो मोटी भोली और अपने में मस्त रहने वाली भूमि आज भारतीय सिनेमा में तेजी से पसंद की जा रही अभिनेत्री बन चुकी हैं।
यशराज फिल्म में कास्टिंग अस्सिटैण्ड काम करने वाली ओवरवेट भूमि कभी उसी बैनर में एक्ट्रेस बनेंगीं शायद भूमि को भी पता न होगा मगर आज अगर यश चोपड़ा के सुपुत्र और डीडीएलजे से सितारा निर्देशक का खिताब पाने वाले आदित्य चोपड़ा नए चेहरों पर रिस्क ले रहें हैं जो ये देश के सिनेमा के लिए बहुत ही क्रांतिकारी परिवर्तन है। सितारा मां बाप के बेटा बेटी सितारे सालों साल तक बनते रहे। गोरी चिट्टी और लंबी मॉडल भी बाया मॉडलिंग फिल्मों में आती रहीं मगर नए सामान्य से चेहरे वाले लोग सितारा बनने पर्दे पर आ पा रहे हैं तो इसके लिए आदित्य चोपड़ा जैसे निर्देशक और यशराज उम्मीद जगाते हैं।
शुभ मंगल सावधान में सुगंधा का अभिनय अगर खुलकर फैमिली फिल्म के रुप में सामने आया है तो ये भूमि पेंढारकर की अभिनय क्षमता को साबित करता है। कैसे दमा लगा के हइशा में अपने मोटेपन के कारण लजाती विवाहिता और उसके अंर्तमन की उलझनों को संध्या के किरदार को उन्होंने साकार कर दिया था। इस फिल्म में ये मोह मोह के धागे पर इस बेमेल जोड़ी को देखना सुनना बहुत सुकुन भरा लगा था। प्रेम शरीर और सौन्दर्य की तमाम परिभाषाओं से अलग मन और आत्मा का भी विषय है। शारीरिक सौन्दर्य से आगे एक मन का सौन्दर्य भी होता है जो प्रेम के महीने धागे से जुड़ा रहता है। एक दुबले पतले पति द्वारा अपनी वजनदार पत्नि को दम लगा के हइशा कॉम्पिटीशन में पीठ पर लेकर दौड़ना और उस दौरान ही दोनों के बीच उभरता जज्बाती प्रेम मोहब्बत के कद्रदानों को खुश कर जाता है। भूमि ने संध्या के किरदार में अपने मोटापे के बाबजूद दर्शकों से भरपूर प्यार पाया था। अपनी खुद की शादी के मंडप में कमर मटकाकर उनका आनंदपूर्ण नृत्य फिल्म में जीवंत संख्या को रेखांकित करने वाला रहा। वो संध्या जो मोटी है मगर मन से खुश और इससे दुखी नहीं होती।
2015 के बाद भूमि एक बार फिर चुनौतीपूर्ण फिल्म टॉयलेट एक प्रेमकथा में जया के रुप में दिखीं। इस फिल्म में जया उस बहू के किरदार में हैं जो घर में शौचालय न होने को बर्दाश्त नहीं करती। शौचालय को वह महिला सम्मान और सुरक्षा का प्रतीक मानती है और अपने ससुर के सामने एक दिन इस सामाजिक बुराई का सामना करते हुए वह शर्मिन्दा होकर घर छोड़ देती है। जया का शौचालय के अभाव में घर जोड़ना और उसे वापिस लौटने के लिए पति का शौचालय बनाने की लड़ाई एक प्रेरक कहानी है जो भारत में वर्तमान में संचालित स्वस्थ भारत स्वच्छ भारत अभियान की लड़ाई को जन जन तक पहुंचाती नजर आती है।
2017 में इस संदेशपरक फिल्म के बाद यशराज की फैमिली फिल्म शुभ मंगल सावधान में आयीं। सुगंधा के रुप में भूमि ने एक मध्यम वर्गीय महानगरीय लड़की का किरदार बेहतरीन अदा किया है। सुगंधा ने इस हल्के मूड की फिल्म में आयुष्मान खुराना के साथ जानदार अभिनय किया है। फिल्म के संवाद कुछ इस कदर लिखे गए हैं कि सामान्य घर परिवारों की रोजाना की जिंदगी को भली भांति रेखांकित करते हैं। किसी पुरुष समस्या से ग्रसित होने पर वह पति बनने जा रहे अपने प्रेमी को विश्वास दिलाती है कि सिर्फ शरीर ही प्रेम का माध्यम नहीं है। शारीरिक प्रेम मोहब्बत की मजबूरी नहीं बन सकता। हल्के फुल्के सामान्य मध्यवर्गीय परिवार की युवती का किरदार भूमि ने खुलकर जिया है।
भमि की इन तीन फिल्मों में अदाकारी की गहराई दिनों दिन बढ़ी है। उनका सौन्दर्य भारतीयता का प्रतीक है। वे बिना एक्सपोज के भी हॉट लग सकती है, सबको प्यारी लग सकती हैं ये उनकी बॉलीबुड में खास यूएसपी है। भूमि अपनी हर फिल्म में दम लगा के हइशा मेहनत करना जानती हैं।

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