स्वास्थ ही धन है

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पैसा ज़मीन मकान सोना चांदी आदि, ये सब बाद के साथी हैं। सबसे पहला साथी ‘उत्तम स्वास्थ्य’ है, पहले उसकी रक्षा करें।”

प्रतिदिन बहुत से लोग आपसे मिलते हैं। आपसे हर रोज बातें करते हैं। आपको चाहते हैं। आप उनके लिए एक अच्छे मित्र साथी भाई बहन पति पत्नी आदि कुछ भी संबंध वाले हो सकते हैं। “वे दूसरे लोग तभी तक आपको चाहते हैं, तभी तक आप से प्रेम करते हैं, जब तक आप स्वस्थ हैं। जब तक आप उन पर किसी प्रकार के भार नहीं हैं।”

परंतु यदि आप रोगी हो जाएंगे, अपना कार्य स्वयं नहीं कर पाएंगे, तब आपको दूसरों की सेवा सहायता लेनी पड़ेगी। उस स्थिति में कोई ०२/०४ दिन भले ही आप की सेवा कर दे, कोई ०५/१० दिन भी कर देगा। परन्तु लंबे समय तक लोग आपकी सेवा करने से कतराएंगे। “यदि आप की वृद्धावस्था आ गई और कोई स्थाई रोग लग गया अथवा आपको लंबे समय तक बिस्तर पर लेटने की नौबत आ गई, तो ऐसी स्थिति में लोग आपसे दूर भागेंगे। आपसे कन्नी काटेंगे। आपको भार समझेंगे।” क्योंकि स्वभाव से ही सब लोग स्वार्थी हैं। सब के पास अपने अपने काम हैं। किसी को दूसरे की सेवा करने में रुचि नहीं है। आजकल अपना सुख छोड़कर कौन दूसरे की सेवा करता है? पति पत्नी आदि निकट संबंधी कुछ अपवाद रूप लोग ऐसे होते हैं, वे तो लंबे समय तक सेवा कर भी देते हैं। परन्तु प्रायः लोग वृद्धों या रोगियों की सेवा नहीं करना चाहते।

“इसलिए अपने स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखें। यह आपका उत्तम साथी है, जो २४ घंटे आपके साथ रह कर आपको सुख देता है।” “आपका स्वास्थ्य यदि अच्छा रहेगा, तो आप किसी पर भार नहीं बनेंगे, और दूसरे लोग भी आपको भार नहीं समझेंगे। ऐसी स्थिति में आप को भी सुख मिलेगा और दूसरों का प्रेम भी आपके साथ बना रहेगा।”

युवा अवस्था में तो यदि कोई सेवा न करे, या कम मात्रा में करे, तो काम चल भी सकता है। क्योंकि तब आपके पास कुछ शक्ति होती है। तब बहुत से काम आप स्वयं भी कर सकते हैं। “परन्तु वृद्धावस्था में जब शक्ति कम रह जाती है, तब रोगी हो जाने और सेवा न मिलने पर बहुत कठिनाई होती है। तब यदि किसी ने आप की सेवा नहीं की, तो आप बहुत अधिक दु:खी हो सकते हैं। इसलिए विशेष रूप से वृद्धावस्था में तो बहुत सावधान रहें, रोगी न हों।” इसलिए सबसे पहली प्राथमिकता अपने स्वास्थ्य की रखें।

“सदा स्वस्थ रहने के लिए कुछ नियमों का पालन करें।” जैसे कि रात को जल्दी सोना, १०:००/१०:३० बजे तक सो जाएं। सुबह जल्दी उठना, ०४:३०/०५:०० बजे तक उठ जाएं। “फिर अपनी दैनिक क्रिया शौच आदि करके थोड़ा व्यायाम अवश्य करें।” “ईश्वर का ध्यान प्रतिदिन करें। सुबह शाम दोनों समय करें। कम से कम १५ /२० मिनट सुबह और १५ / २० मिनट शाम को ध्यान अवश्य करें। अपनी शारीरिक रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए अपने घर में वैदिक विधि से प्रतिदिन यज्ञ करें।” “शाकाहारी भोजन खाएं, सात्विक भोजन खाएं। संयम से खाएं। भूख से थोड़ा कम ही खाएं। अधिक खाने से रोगी हो सकते हैं। प्रायः लोग स्वाद के कारण मात्रा से अधिक भोजन करते हैं, और फिर अनेक रोगों को निमंत्रण देते हैं। इसलिए खाने पीने में पूरा संयम रखें।” “अहिंसा सत्य आदि सब नियमों का पालन करें। ब्रहमचर्य का पालन करें। मन तथा सभी इंद्रियों पर नियंत्रण रखें। कर्म करने में पूर्ण पुरुषार्थ करें। फिर जितना फल मिले, उतने में प्रसन्न रहें। शिकायत न करें कि बहुत मेहनत की, फिर भी फल बहुत कम मिला। ईश्वर न्यायकारी है, जो भी आपको फल कम मिला, वह न्यायपूर्वक आपकी पूर्ति कर देगा। ऐसा सोचें। जीवन में सुख दु:ख, हानि लाभ, मान, अपमान की घटनाएं होती रहती हैं, उनसे घबराएं नहीं। ईश्वर उपासना करके ईश्वर से शक्ति प्राप्त करें। गौ आदि प्राणियों को भी थोड़ा भोजन चारा प्रतिदिन देवें। अच्छे वैदिक ग्रंथों का स्वाध्याय करें। और ईश्वर को साक्षी मानकर सब कार्य करें। इन कार्यों को करने से आपका शारीरिक मानसिक बौद्धिक संतुलन बहुत अच्छा बना रहेगा, और आप रोगी होने से बचे रहेंगे।”

“इसके अतिरिक्त अच्छे आर्य विद्वानों का सत्संग करें। उनसे अध्यात्म विद्या सीखें। अपनी शंकाओं का समाधान प्राप्त करें। गंदे दृश्य, गंदी बातों से दूर रहें। चरित्रहीन एवं दुष्ट भ्रष्ट लोगों से भी बच कर रहें। झूठ छल कपट अन्याय चोरी रिश्वत इत्यादि बुरे कामों से बचते रहें। अपने परिवार वालों को भी ये अच्छी बातें सिखाएं। ऐसा करने से आप स्वस्थ, प्रसन्न और सन्तुष्ट हमेशा रहेंगे।”

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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