समस्या को अवसर में बदलने वाला नायक : योगी आदित्यनाथ

0
226

-ललित गर्ग-

उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोरोना संकट काल में जिस प्रकार से अपने राजनैतिक परिपक्वता, सामाजिक अनुभव, नेतृत्व कौशल और फैसले लेने की तत्परता एवं उनके प्रति दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रदर्शन किया, वह अंधेरों में रोशनी का प्रतीक बना है। सरकार ने इन संकटकालीन एवं चुनौतीपूर्ण दिनों में कोरोना प्रभाव पर नियंत्रण बनाने, संक्रमण से ग्रसित के इलाज में तत्परता से लेकर चिकित्सा क्षेत्र में संसाधनों की व्यवस्था करने तक जो अनूठापन प्रदर्शित किया, वह अनुकरणीय है। प्रवासी मजदूरों की घर वापसी की व्यवस्था हो या उनके भावी जीवन को नियोजित करने का प्रश्न, प्रदेश में आर्थिक संभावनाओं, रोजगार एवं सामान्य जीवन को पटरी पर लाने के लिये जो निर्णय लिये हैं, जिस तरह का सकारात्मक वातावरण निर्मित किया है, उसने लोगों के दिल को जीतने का काम किया है। इस अल्पावधि में सरकार ने अपनी नीतियों, योजनाओं एवं कार्यों से जन-जन में लोकप्रियता प्राप्त की है। प्रदेश की जनता ने बदलाव भी देखा और महसूस भी किया, कोरोना भय, भ्रष्टाचार एवं अफसरशाही पर लगाम कसी है, बिजली की कटौती से राहत मिली है, विकास की नयी संभावनाओं ने पांव पसारना शुरु कर दिया है। कोरोना महासंकट से जूझ रहे प्रदेश में एक नई तरह की कार्य संस्कृति और बदलाव देखने को मिल रहा है।
योगी सरकार ने उस समय जब दिल्ली सरकार ने करीब डेढ़-दो लाख मजदूरों को डीटीसी की बसों में बिठाकर उत्तर प्रदेश की सीमा पर बेसहारा छोड़ दिया तो उन्होंने रातों रात हजारों बसें भेजकर न केवल प्रदेश के, बल्कि बिहार के लोगों को भी सुरक्षित पहुंचाया। कोटा से छात्रों को लाने के मामले में उनकी पहल कदमी प्रेरक बनी। 23 करोड़ जनता की कोरोना से सुरक्षा, 20 लाख से अधिक प्रवासी मजदूरों की सकुशल घर वापसी, विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के लाखों अवसर तैयार करना, आर्थिक विकास की योजनाओं से जुड़े फैसलों से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी अलग छवि गढ़ दी है। यही कारण है कि चुनौतियों को अवसर में बदलने में माहिर योगी के प्रभावी एवं कुशल नेतृत्व की प्रशंसा के स्वर देश ही नहीं, दुनिया में गूंज रहे हैं।
योगी सरकार ने बीस लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा करके प्रदेश के लिए रोजगार, उद्योग, आर्थिक गति की संभावनाएं तलाशने में देरी नहीं की। उन्होंने नरेन्द्र मोदी और अमित शाह का गुरु मंत्र अपना लिया है कि चुनौती को अवसर में बदलो और उसके लिए विद्युत गति से युद्ध स्तर पर जुटो। मुख्यमंत्री योगी ने प्रवासी मजदूरों की घर वापसी को एक समस्या के रूप में नहीं, बल्कि एक अवसर के रूप में देखा। उन्हीं के शब्दों में उत्तर प्रदेश के माथे पर पलायन का जो कलंक है, उसे मिटाने का यह सर्वोत्तम अवसर है। इसे सर्वोत्तम अवसर बताकर वे थम नहीं गए बल्कि लौटकर आने वाले प्रवासी मजदूरों के कौशल के मुताबिक वर्गीकरण करके 16 लाख का डाटा बेस तैयार कर लिया और बाकी का हो रहा है। आठ लाख प्रवासी श्रमिकों का राशन कार्ड बन चुका है। नीति, निर्णय एवं क्रियान्वयन में अनूठा संतुलित स्थापित करते हुए वे चरैवेति-चरैवेति के कथन पर अग्रसर वे प्रदेश को उम्मीद का नया परिवेश दे रहे हंै। श्रमिकों के लिए सस्ती दर पर दुकान एवं आवास देने के लिए नीति बन रही है। निवेशकों को आकर्षित करने के लिए श्रम कानूनों में आवश्यक सुधार पहले ही किया जा चुका है। यही कारण है कि चीन से निकलने वाली पहली कंपनी वॉन वेलेक्स ने उत्तर प्रदेश को चुना। इसके साथ ही कामगार श्रमिक (सेवायोजन एवं रोजगार) कल्याण आयोग की युद्ध स्तर पर तैयारी हो रही है।
कोरोना संक्रमण के वक्त प्रदेश की जड़ और जटिल हो चुकी समस्याओं एवं परिस्थितियों को बदलने के योगी सरकार ने बेहतरीन काम करके साबित कर दिया है कि वो ईमानदार नीति और नीयत के साथ काम कर रही है। इसका तो स्वागत होना ही चाहिए। स्वागत तो इस बात का भी होना चाहिए कि खुद मुख्यमंत्री एक ईमानदार जनसेवक की तरह हर रोज कोरोना मुक्ति के अभियान का मोर्चा संभाले हुए है, इसके चलते उन्होंने पिता के अन्तिम संस्कार तक में जाने की बजाय अपने काम को प्राथमिकता दीं। साथ ही वो उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी कर रहे हैं जो अपने दायित्व एवं जिम्मेवारी के काम में ढीले पाए गए। योगी को अब एक सशक्त एवं ईमानदार प्रशासनिक ढांचा खड़ा करने के साथ-साथ सामाजिक व्यवस्था को भी मजबूत करना होगा। हर स्तर पर दायित्व के साथ आचार संहिता अवश्य हो। दायित्व बंधन अवश्य लायें। निरंकुशता नहीं। आलोचना भी हो। योगी स्वस्थ आलोचनाओं का स्वागत करने को तत्पर दिखाई देते हैं। क्योंकि स्वस्थ आलोचना, पक्ष और प्रतिपक्ष दोनों को जागरूक रखती है। पर जब आलोचक मौन हो जाते हैं और चापलूस मुखर हो जाते हैं, तब फलित समाज को भुगतना पड़ता है।
योगी देश के सबसे प्रभावी, ईमानदार, नीतिनिष्ठ और कठोर परिश्रमी मुख्यमंत्री साबित हुए हैं। कोरोना संकट और उससे पहले नागरिकता संशोधन कानून के प्रायोजित विरोध से वे जिस तरह निपटे उसकी प्रशंसा चहूं ओर सुनाई दी। प्रदेश में कृषि, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और कुटीर, लघु और मझोले उद्योगों पर उनका सबसे ज्यादा जोर है। नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत की भांति वे भी आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश के संकल्प को लेकर आगे बढ़ रहे हैं, वे भी लोकल पर वोकल का उद्घोष करते हुए प्रदेश को स्वावलम्बी बनाने को तत्पर है। गांधी का भारत गांवों में था, उसी तर्ज पर योगी का प्रदेश भी गांवों पर आधारित होने जा रहा है, ग्रामोदय में प्रदेशोदय का प्रारूप तैयार किया जा रहा है। उनका मानना है कि इस संकट में सबसे ज्यादा सहारा गांवों ने दिया है। तो गांव को बचाना और बढ़ाना है। गांवों से शहरों की ओर पलायन को रोकने की उनकी नीतियां एवं निर्णय निश्चित ही परिणामकारी होंगे।
कोरोना का संक्रमण रोकने की जंग तो चल ही रही है, साथ ही अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए मंथन शुरू हो गया है। इस संबंध में बैठक कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था के सामने जो चुनौतियां आई हैं, उन्हें अवसर में बदलना है। संबंधित मंत्री और अधिकारियों को इसकी जिम्मेदारी भी सौंप दी है। योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को गति देने के संबंध में लगातार बैठकें कर रहे हैं। इन बैठकों में उन्होंने अपने मजबूत इरादों को उजागर किया है कि कोरोना वायरस संक्रमण के इस दौर में भी सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है। चुनौतियों को अवसर में बदलने के लिए अभी से प्रयास करने होंगे। प्रदेश की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थितियों का आकलन करते हुए उन्हें प्रदेश में सक्रिय करने की तैयारी की जरूरत है। प्रदेश में निवेश आकर्षित करने के लिए विभिन्न देशों के दूतावासों से संवाद हो रहा है, विदेशी निवेश के लिए जरूरत के अनुसार नीतियों में संशोधन भी किया जा रहा है। अमेरिका, जर्मनी सहित कई विदेशी कंपनियों को उत्तर प्रदेश आकर कार्य शुरू करने का न्योता दिया गया है। योगी आदित्यनाथ ने एक तरफ विदेशी निवेश को न्यौता दे रहे हैं, वहीं रोजगार सृजन का नया मॉडल तैयार करने में भी जुटें हैं। प्रदेश की अर्थव्यवस्था को स्टार्टअप से बूस्टअप देने की तैयारी की जा रही है। उन्होंने उत्तर प्रदेश स्टार्टअप फंड का शुभारंभ किया और भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक को 15 करोड़ रुपए की प्रथम किश्त सौंपी। इसी के साथ अब कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए एक नई स्टार्टअप नीति प्रदेश में बनेगी जिससे प्रदेश का युवा अपने विचारों को आकार दे सकेगा।
कोरोना काल में विश्वस्त जननेता, वास्तविक विकास पुरुष, असली नायक, संवेदनशील नेतृत्व के धनी जैसी छवि योगी आदित्यनाथ की बन चुकी है। क्योंकि वे अपने सभी फैसलों से उत्तर प्रदेश को नई पहचान देने की कोशिश में जुटे हैं। उत्तर प्रदेश अब हर परिस्थिति का सामना करने में सक्षम बन रहा है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले वर्षों में उत्तर प्रदेश में रोजगार के पर्याप्त अवसर होंगे। हर व्यक्ति को उसकी क्षमता और योग्यता के आधार पर काम मिलेगा और पलायन रुकेगा। आंकलन करने पर पता चलता है कि जिस प्रकार योगी आदित्यनाथ चुनौतियों को अवसर में बदलने का काम कर रहे हैं, उससे उनकी लोकप्रियता में भी कई गुना इजाफा हुआ है। इस लोकप्रियता ने उन्हें विश्व स्तर पर पहचान दी है और यही लोकप्रियता आने वाले प्रदेश के समग्र विकास में भी बेहतर परिणाम देगी, इसमें फलिहाल कोई संदेह नहीं है। निश्चय ही प्रजातांत्रिक ढांचे को कायम रखते हुए एक मजबूत, विकासमूलक, शुद्ध व्यवस्था संचालन की प्रक्रिया बनना शुभ एवं श्रेयस्कर हैं। कोरोना मुक्ति से ज्यादा जरूरी है ‘सिस्टम’ की रोग मुक्ति, यही योगी के शासन का हार्द है, यही प्रगतिशील प्रदेश, स्वस्थ समाज, वास्तविक सफलता एवं समग्र विकास का आधार भी हो सकेगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here