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व्यंग्य बाण: हिन्दी ओढ़ें, देवनागरी बिछाएं - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
विजय कुमार पिछले दिनों किसी काम से शर्मा जी के घर गया, तो उनकी मेज पर चिट्ठियों और निमन्त्रण पत्रों का ढेर लगा था। उन्होंने मेरी ओर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया और पत्रों से उलझे रहे। - क्या बात है शर्मा जी, बड़े व्यस्त लग रहे हैं ? -…