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मुक्तिका/हिंदी गजल - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
हर बशर बदगुमान नजर आता है।भटका हुआ जवान नजर आता है।।प्यून है घूस से अर्श पर पहुंचा,देखिए साहिबान नजर आता है।जीभ फेरिए जरा सूखे होंठ पर,रचा रचाया पान नजर आता है।लग रही है मेनका सुंदरता में,कलेवर तो कमान नजर आता है।लतीफे की किताबें पढ़कर लगा कि,इस तरह संविधान नजर आता…