हिंदी गजल

अविनाश ब्यौहार

नेताजी हो गए अजागर।
जनतंत्र है देश का नागर।।

उफना रही सरिता अगर है,
ढूंढ़ो यहाँ सुरक्षित बागर।

तुम सदियों की प्यास बनो तो,
मै भी अब हो जाऊँ छागर।

जीवन है इक नाव सरीखा,
ठौर ठिकाना होता पागर।

तन्हा तन्हा इस कस्बे से,
चला गया सुख का सौदागर।

अविनाश ब्यौहार
रायल एस्टेट कटंगी रोड
जबलपुर।

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