ख्याल तुम्हारा हर तरह से रख रक्खा है |
दिल भी तुम्हारा सभांल रख रक्खा है ||
हुआ नहीं मै कभी अलग तुमसे |
खुद को भी सभांल रख रक्खा है ||
नहीं किया शक कभी तुम पर मैंने |
अपने ऊपर ही शक रख रक्खा है ||
तेरे प्यार की निशानी में मिला जो था |
अभी तक रुमाल सभांल रख रक्खा है ||
तुझे मरने कभी न दूंगा आखरी बख्त तक |
तेरे दिल को पहले ही निकाल रख रक्खा है ||
तुझे ढूढने की जरूरत नहीं पड़ेगी मुझको |
तेरा पहले ही मैंने ख्याल रख रक्खा है ||
जबाब दे दिया है तेरे हर सवालों का मैंने |
दिल में अब नहीं कोई सवाल रख रक्खा है ||
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम (हरियाणा)
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