हिंदी गजल

अपराध हुआ पर सजा नहीं।
जरूरी बात पर रजा नहीं।।
बन गए जो महान हस्तियाँ,
उनका प्रयाण पर कजा नहीं।
नृत्य देख शोख सुंदरी का,
हुई बेरुखी पर मजा नहीं।
गद्दी मिल गई रहनुमा को,
मिलते सब सुख पर प्रजा नहीं।
गर वहशत फैली तो मानो,
अमन जरूरी पर गजा नहीं।
अविनाश ब्यौहार
जबलपुर

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