तितली सी चंचलता

-लक्ष्मी जायसवाल-
poem

तितली सी चंचलता
तितली सा चंचल बन मन मेरा
उड़ना चाहता है।
नन्हीं सी तितली रानी देख तुम्हें
मन मेरा हर्षाता है।
उड़कर तेरी तरह मन मेरा फूलों पर
मंडराना चाहता है।
डाल-डाल पर बैठकर यौवन मेरा
इठलाना चाहता है।
रंग-बिरंगे पंख हों मेरे दिल यही
मांगना चाहता है।
कोमल सी काया चंचल नैन मन
मेरा पाना चाहता है।
तितली आज मन मेरा तुझ जैसा
इतराना चाहता है।
बच्चों के साथ मन मेरा अठखेलियां
करना चाहता है।
सबके साथ घुल-मिल कर मन आज
खेलना चाहता है।
उडूं आज स्वच्छंद, मन मेरा बन्धन
तोड़ना चाहता है।
चंचल मन मेरा आज हर भेदभाव
भूलना चाहता है।
तितली सी चंचलता मैं मन मेरा
खो जाना चाहता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here