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हिंसा पर उतारू घातक गठजोड़ - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
इंजि. राजेश पाठक सन १९९८ में पोप जान पौल II नें भारत में एक यात्रा की थी, जो कि बड़ी सुर्ख़ियों में रही थी, उस बात के लिए जो कि देश में कार्यरत कार्डिनलों के समक्ष कोलकोता में उन्होंने कही थी —‘ उपासना की स्वतंत्रता में मतान्तरण की स्वत्रंता शामिल है. यदि कोई अपना…