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समलैंगिकता मानसिक रोग ही नहीं, समाज व प्रकृति के विरूद्ध अपराध भी - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
देखा जाये तो हमारी वर्तमान सोच में बड़ी विसंगतियां हैं, बड़ी विकृतियां हैं, बड़ा विरोधाभास भी है। एक ओर तो हम अपनी संस्कृति, अपनी भारतीयता तथा अपने आदर्शों पर बड़ा गर्व करते हैं तो दूसरी ओर हम उदारवादी भी बनना चाहते हैं।