आओ हम सब याद करें, गुरु गोविंद के बलिदान को।
जिसने हिंदू धर्म की खातिर, किया न्योछावर प्राण को॥ वंदे मातरम्
1.माता गुजरी, पिता गुरु, तेगबहादुर के घर में।
जन्म हुआ सोलह सौ छ्यासठ, खेले पटना शहर में।
नौ वर्ष में गुरु की गद्दी, मिल गई वीर जवान को॥
जिसने हिंदू धर्म……
वंदे मातरम्
2.‘अनुव्रत: पितु: पुत्रो’ बन, इस्लाम से टक्कर लेते रहे।
औरंगज़ेब के शासन में भी, हिंदू धर्म पर चलते रहे।
लाल चार कर भेंट धर्म पर, खूब दिया इम्तिहान को॥
जिसने हिंदू धर्म……
वंदे मातरम्
3.सत्य, लगन, गंभीर, धीरता, रची बसी थी जीवन में।
प्रेम, न्याय और अभय, वीरता, खिली हुई थी तन मन में।
पहनाया हिंदुत्व का चोला, लेकर स्वाभिमान को॥
जिसने हिंदू धर्म……
वंदे मातरम्
4.चलो सुनाऊँ एक दास्ताँ, आनंदपुर के धाम की।
बनाए सैनिक ‘पंज प्यारे’, बोली जय श्री राम की।
मानव मात्र की रक्षा के हित, दिया ककार निशान को॥
जिसने हिंदू धर्म……
वंदे मातरम्
5.जीते जी न मार सका, कोई धरती के लाल को।
सोते हुए पर चाकू मारा, धोखा दिया मशाल को।
पर न बुझेगी कभी भी ज्योति, धारा उस ‘बलवान’ को॥
जिसने हिंदू धर्म……
वंदे मातरम्
6.धरती माता का यह बेटा, दशम सिक्ख-सरदार भया।
हिंदू धर्म की रक्षा के हित, तीन पीढ़ियाँ वार गया।
श्रद्धाञ्जलि देते हैं मिलकर, विमल ज्योति जवान को॥
जिसने हिंदू धर्म……
वंदे मातरम्
विशेष-ककार=कंघा, केश, कच्छा, कंगन, कटार
पुत्रों के नाम- अजीत सिंह, फ़तेह सिंह, जुझारु सिंह, जोरावर सिंह