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कैसे करू उनसे बात ? - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
आर के रस्तोगी घन घोर घटाये घिर रही ,रुक रुक हो रही बरसात |साजन है मेरे परदेश में ,कैसे करू, उनसे बात ? दम दम बिजली दमक रही ,अब दिन भी हो गया रात |दिन तो कैसे तैसे कट गया ,कैसे कटेगी ये अँधेरी रात ? ठंडी ठंडी हवा है…