कैसे इंटर्नशिप नौकरी पाने में सहायक होती हैं।


इंजीनियरिंग छात्रा पूजा मिश्रा को कॉलेज प्लेसमेंट के माध्यम से नौकरी नहीं मिली। अच्छे अकादमिक प्रदर्शन के बावजूद वह इंटरव्यू के तकनीकी राउंड में सफल नहीं हो पायी। एक कॉलेज सीनियर के सुझाव पर उसने इंटर्नशिप करने का निर्णय किया। पूजा की कंटेंट राइटिंग में रुचि थी अतः उसने इस क्षेत्र की इंटर्नशिप के लिए आवेदन करने आरम्भ कर दिए। कुछ समय बाद पूजा एक दिल्ली-आधारित स्टार्टअप में इंटर्नशिप के लिए चुनी गयी। उसने अपना काम बहुत ही रोचक पाया और 6 महीने की इंटर्नशिप के अंत तक उसके पास न सिर्फ़ क्रिएटिव राइटिंग, एस.ई.ओ., और सोशल मीडिया मार्केटिंग का ज्ञान था बल्कि एक अच्छे पैकेज के साथ प्री-प्लेसमेंट ऑफर भी था।

आजकल कंपनियाँ केवल अनुभवी प्रत्याशियों को हायर करना पसंद करती हैं और नए स्नातकों के लिए पूर्व अनुभव रखना और कॉर्पोरेट नैतिकता समझना कठिन होता है। भारत में हर साल पूजा जैसे लगभग 60 लाख छात्र ग्रेजुएट होते हैं किन्तु उनमें से 8-10 % ही नियोजनीय होते हैं और नौकरी पाते हैं। इस समस्या का मूल कारण है कौशल का अभाव जिसके परिणामस्वरूप हमारा देश बेरोज़गारी से जूझ रहा है।

जैसे हर समस्या का एक समाधान होता है वैसे ही इसका भी है – सार्थक इंटर्नशिप। हमारा ऐसा मानना है क्योंकि इंटर्नशिप न केवल छात्रों को अपनी प्रोफाइल के अनुकूल ज्ञान प्रदान करती हैं बल्कि उन्हें महत्वपूर्ण कार्यानुभव और सॉफ्ट स्किल्स  सिखाती है जो नौकरी पाने में सहायक साबित होती हैं। और, सबसे अच्छी बात यह है की आज के डिजिटल युग में इंटर्नशिप ढूँढना अत्यंत सरल हो गया है। इंटरनेट पर आजकल अनेक ऑनलाइन इंटर्नशिप प्लेटफार्म हैं जो कि आपकी रूचि, उपलब्धता, और शहर के अनुकूल विभिन्न क्षेत्रों में इंटर्नशिप के अवसर उपलब्ध कराती हैं।

इंटर्नशिप से स्नातक कैसे लाभ उठा सकते हैं?

1.  प्रीप्लेसमेंट ऑफर (पी.पी..) – इंटर्नशाला पर 40 % से अधिक इंटर्नशिप प्री-प्लेसमेंट ऑफ़र के साथ आती हैं। इंटर्नशिप के दौरान इंटर्न के अच्छे प्रदर्शन के आधार पर उसे प्री-प्लेसमेंट ऑफर प्रदान किया जाता है। पी.पी.ओ. मिलने का सबसे बड़ा फ़ायदा यह होता है कि आपको कॉलेज प्लेसमेंट या खुद से नौकरी  ढूंढने के संघर्ष की चिंता नहीं करनी पड़ती। और तो और आँकड़ों के अनुसार पी.पी.ओ. के द्वारा फुल-टाइम नौकरी मिलने की संभावना भी ज़्यादा होती है।

2.  कौशल विकास एक फ्रेशर होने के कारण अक्सर आपकी तकनिकी और सॉफ्ट स्किल्स मज़बूत नहीं होती जो आपके नौकरी पाने की प्रक्रिया में बाधा बन सकती है। स्किल्स को प्रैक्टिकल रूप से सीखने का सबसे उत्तम तरीका है इंटर्नशिप क्योंकि इसके दौरान आप वास्तविक कॉर्पोरेट वातावरण में आधुनिक प्रौद्योगिकी और तकनीकों के बारे में सीख्नते हैं और अनुभवी लोगों के साथ काम कर अपनी सॉफ्ट स्किल्स को भी बेहतर बनाते हैं। इससे आपके स्किल-सेट के साथ-साथ आपका आत्मविश्वास भी बढ़ता है।

3. सही करियर का चुनावप्रायः नए स्नातक अपने लिए सही करियर राह चुनने की उलझन में होते हैं। ऐसे में इंटर्नशिप के द्वारा वे छोटी अवधि के लिए अलग-अलग करियर का काम सीख सकते हैं और अंत में अपनी सच्ची रूचि के अनुसार अपने लिए सही करियर चुन सकते हैं। सिर्फ़ इतना ही नहीं, विभिन्न प्रकार के इंटर्नशिप अनुभव के साथ आप बहुत कुछ नया सीखते हैं तथा इससे आपके भावी नियोक्ताओं को आपकी नए काम अच्छे से सीखने और करने की क्षमता बारे में पता चलता है।

4. नेटवर्किंगइंटर्नशिप के चलते कई बार आपको विभिन्न सभाओं और सम्मेलनों में शामिल होने के अवसर मिलते हैं जहाँ आप न सिर्फ़ अपने कंपनी बल्कि अन्य संस्थाओं और कंपनियों के लोगों से भी मिलते हैं और नेटवर्किंग करते हैं। यह नेटवर्किंग, भविष्य में आपको नौकरी पाने में भी उपयोगी साबित होती है। और तो और ऐसे अनुभव आपको इंडस्ट्री के बारे में नवीनतम जानकारी देते हैं तथा सही अवसरों को पहचानने में आपको सक्षम बनाते हैं।

इनके अलावा इंटर्नशिप आपके बायो-डाटा (रिज्यूमे) को मज़बूत बनाती हैं जो कि आपको आपके साथियों से एक कदम आगे रखता है और नियोक्ताओं की पहली पसंद बनाता है।

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