दिल में है गम,आँखों में है आँसू भरे
कैसे अटल जी,तुमको हम विदा करे
तुम एक महान कवि और वक्ता भी थे
तुम्हारे भाषणों को सब ध्यान से सुनते थे
वो आवाज कहाँ लुप्त हो गई,कहाँ खो गई
चौरानवे वर्ष की हो गई थी वह कहाँ सो गई
तुम्हारे शब्दों से सारी संसद भी गूंजती थी
तुम्हारी गर्जना से संसद की दीवारे हिलती थी
कैसे ये संसद की दीवारे तुम्हे विदा करे
दिल में है गम,आँखों में है आँसू भरे
कैसे अटल जी,तुमको हम विदा करे