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आखिर कब तक चलेगा शहादतों का सिलसिला? - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
-गोपाल सामंतो एक बार फिर हमारे वीर जवानों के रक्तरंजित शरीरों को नम आँखों से श्रद्धांजलि की चादर ओढ़ाई गयी। कुछ और विधवाओं ने सिस्टम से जन्म लिया और कुछ अनाथों का देश से नया रिश्ता जुड़ गया। जब जब नक्सली हमला होता है तो पूरा देश बेचैन दिखता है…