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कब तक हमारे देश के सैनिक शहीद होते रहेंगे ? - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
देवेंद्रराज सुथार कवि कुमार मनोज की कुछ पंक्तियाँ :- सुख भरपूर गया, मांग का सिंदूर गया, नंगे नौनिहालों की लंगोटियां चली गयी। बाप की दवाई गयी, भाई की पढ़ाई गयी, छोटी छोटी बेटियों की चोटियाँ चली गयी॥ ऐसा विस्फोट हुआ जिस्म का पता ही नहीं, पूरे ही जिस्म की बोटिया…