मानव आज कितना सिमट गया है |

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मानव आज कितना सिमट गया है |
केवल वह मोबाइल से चिपट गया है ||
उसे फुर्सत नहीं है किसी से मिलने की |
उसे फुर्सत नहीं है किसी को सुनने की ||
वह तो अपने आप में कही खो गया है |
मानव आज कितना सिमट गया है ||

न रही फुर्सत उसे अपने खाने पीने की |
न रही फुर्सत उसे अपने मरने जीने की ||
वह तो अब होटलों में खाने पीने लगा है |
वह तो अस्पतालों में मरने जीने लगा है ||
हर चीज को पाने में आप में खो गया है |
मानव आज कितना सिमट गया है ||

खुशियों को पाने के लिये दुखो में खो गया है |
उजाले को पाने के लिये अंधरो में खो गया है ||
निमंत्रण पत्र भी व्हाट्सअप्प पर आने लगे है |
इनके गिफ्ट भी व्हाट्सअप्प पर जाने लगी है ||
जीवन का दौर खतरनाक मोड़ पर आ गया है |
मानव आज कितना सिमट गया है ||

कहने को संसार मोबाइल में सिमट गया है |
पर मोबाइल भी हर पाकिट में चिपट गया है ||
सुबह शाम की नमस्ते मोबाइल पर होने लगी है |
जन्म दिवस की बधाई मोबाइल पर होने लगी है ||
अब तो केक भी मोबाइल पर कट कर आ गया है |
मानव आज कितना सिमट गया है ||

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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