देश का प्रमुख राजपुरुष (प्रधानमंत्री) व राज्याधिकारी कैसे हों?”

0
221

मनमोहन कुमार आर्य

सत्यार्थप्रकाश ऋषि दयानन्द का प्रमुख एवं विश्व प्रसिद्ध ग्रन्थ हैं। विधर्मियों के लिए यह एक प्रकार से सूर्य के समान है जो संसार के समस्त पापों को भस्म करने की क्षमता व सामर्थ्य वाला है। इस ग्रन्थ का छठा समुल्लास देश के राजपुरुषों के लिए राजधर्म पर वैदिक शास्त्रों के अनुसार ऋषि दयानन्द का व्यायख्यान व उपदेश है। समुल्लास के आरम्भ में ऋषि दयानन्द लिखते हैं कि इस समुल्लास में वह राजपुरुषों के राजधर्मों को कहेंगे। देश का राजा जिस प्रकार का होना चाहिये और जैसे इसके होने का सम्भव तथा जैसे इस को परम सिद्धि प्राप्त होवे उस को सब प्रकार से वह कह रहे हैं। उनके अनुसार जैसा (वेद आदि शास्त्रों का) परम विद्वान् (सच्चा) ब्राह्मण होता है वैसा विद्वान ही सुशिक्षित होकर क्षत्रिय को होना योग्य है जिससे कि वह इस सब राज्य वा देश की रक्षा यथावत् करे।

राजा (आज की परिस्थिति में प्रधानमंत्री व प्रमुख मंत्रीगण) व राजपुरुषों में कैसे गुण होने चाहिये उनका उल्लेख करते हुए ऋषि दयानन्द उपदेश करते हैं कि प्रशंसनीय धार्मिक पुरुषों को राजसभा के सभासद् और जो सब में सर्वोत्तम गुण, कर्म, स्वभावयुक्त, महान् पुरुष हो उसको राजसभा का पतिरूप (राजा-प्रधानमंत्री-सभेश) मान के सब नियमों के आधीन सब लोग (राजपुरुष व प्रजाजन) वर्तें। वह सभेश सब प्रजा व राज्याधिकारियों के हितकारक कामों में सम्मति करें। सर्वहित करने के लिए वह परतन्त्र और अपने निजी धर्मयुक्त कामों में स्वतन्त्र रहे।

सभापति (प्रधानमंत्री) के गुण कैसे होने चाहियें, इस विषय में ऋषि दयानन्द मनुस्मृति के आधार पर कहते हैं कि वह सभेश (लोक व राज्यसभा का अधिपति) इन्द्र अर्थात् विद्युत् के समान शीघ्र ऐश्वर्यकर्ता, वायु के समान सब को प्राणवत् प्रिय और दूसरों के हृदय की बात को जाननेवाला, यम अर्थात् पक्षपातरहित न्यायाधीश के समान वर्तनेवाला, सूर्य के समान न्याय, धर्म और विद्या का प्रकाशक, अविद्या व अन्याय का विरोधी, अग्नि के समान दुष्टों को भस्म करनेहारा, वरुण अर्थात् बांघनेवाले के सदृश दुष्टों को अनेक प्रकार से बांधनेवाला व वश में करने वाला, चन्द्र के तुल्य श्रेष्ठ देशभक्त पुरुषों को आनन्ददाता, धनाध्यक्ष अर्थात् वित्तमंत्री के समान राज-कोशों का पूर्ण करने वाला सभापति होवे।

वह सभेश वा प्रधानमंत्री सूर्यवत् प्रतापी सब के बाहर और भीतर मनों को अपने तेज से तपाने वाला, जिस को पृथिवी में कड़ी दृष्टि से देखने को कोई भी समर्थ न हो। (वर्तमान स्थिति इसके विपरीत है। जिसके मन में जो आता है वही देश के प्रधानमंत्री के लिए अमर्यादित शब्दों का प्रयोग करता है। देश के एक प्रमुख दल के नेता तो पाकिस्तान जाकर देश के प्रधानमंत्री को हटाने तक का अनुरोध कर आये हैं।)

देश का सभेश जो अपने प्रभाव से अग्नि, वायु, सूर्य, सोम, धर्म प्रकाशक, धनवर्द्धक, दुष्टों का बन्धनकर्ता, बड़े ऐश्वर्यवाला होवे, वही सभाध्यक्ष अर्थात् सभेश वा प्रधानमंत्री होने के योग्य होवे। इसके बाद ऋषि दयानन्द प्रभावशाली त्वरित दण्ड व्यवस्था, जिससे अपराधी भयभीत रहें व दण्ड से बच न सके, उस दण्ड को ही सच्चे राजा की उपमा दी गई है। इसमें यह भी कहा गया है कि न्यायरूपी दण्ड बड़ा तेजोमय है। उसे अविद्वान्, अधर्मात्मा धारण नहीं कर सकते। तब वह दण्ड धर्म से रहित राजा का कुटुम्बसहित नाश कर देता है। ऐसे अनेक मूल्यवान विचार स्वामी दयानन्द जी ने वेद एवं मनुस्मृति आदि शास्त्रों के आधार पर सत्यार्थप्रकाश के राजधर्म विषयक छठे समुल्लास में दिये हैं। पाठकों से निवेदन है कि वर्तमान देश की राजनीतिक स्थिति को ध्यान में रखकर इस समुल्लास को पूरा पढ़े और देखें कि उसमें कहां कहां किस प्रकार के सुधारों व परिवर्तनों की आवश्यकता है।

देश की वर्तमान स्थिति पर विचार करें तो आज देश की जो आन्तरिक स्थिति है तथा विश्व का परिदृश्य है उसमें भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी में शास्त्रों में  वर्णित एक राष्ट्रीय नेता के अधिकांश गुणों से सुशोभित हैं। उन्होंने देश की आन्तरिक स्थिति को अनेक नई योजनाओं देकर मजबूत किया है, वहीं भारत की सीमाओं की रक्षा के साथ आतंकवाद को भी सख्त सन्देश दे रहे हैं जो इससे पूर्व नहीं होता था। उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार पर विगत तीन वर्षों से अंकुश लगाने में भी वह सफल हुए हैं। नोट बंदी व बेमानी सम्पत्तियों पर कार्यवाही करके भी उन्हें देश की जनता का सहयोग, प्रशंसा व आशीर्वाद मिल रहा है। विश्व के प्रायः सभी देशों से भारत के संबंध दृण मित्रतापूर्ण बने हैं। इससे हमारे कुछ पड़ोसी देशों को चिढ़ भी हो रही है और वह अपनी खीज मिटाने के लिए देश की सीमाओं पर गड़बड़ी कर रहे हैं। हमें लगता है कि देश इन हालातों में मोदी जी के नेतृत्व में ही सफल हो सकता है। देश की आजादी के 70 वर्षों में देश का कोई प्रधानमंत्री कभी इजराइल की यात्रा पर नहीं गया था। इजराइल विश्व का एक छोटा परन्तु बहुत बलवान व मजबूत देश है। बलवान की दोस्ती से हमेशा लाभ ही होता है। इजराइल से मित्रता देश के हित में है। आज दिनांक 4 जलाई, 2017 को प्रधानमंत्री जी तीन दिनों की इजराइल की यात्रा पर इजराइल पहुंच चुके हैं और वहां उनका भव्य स्वागत व सम्मान हुआ है। इजराइल के राष्ट्रपति ने हिन्दी शब्द बोलकर उनका स्वागत किया है। अनुमान किया जा सकता है कि इसका परिणाम देश के लिए शुभ ही होगा। इससे हमारे कुछ पड़ोसी शत्रु देशों की चिन्ता बढ़ेगी और वह अकारण हमें परेशान करने से विमुख होंगे। अभी मोदी जी को देश के लिए बहुत कुछ करना शेष है। हम उनके स्वस्थ व सफल भावी राजनीतिक जीवन की कामना करते हैं। इसी के साथ इस लेख को विराम देते हैं। ओ३म् शम्।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here