कैसे कहें दिल से, अखिलेश यादव फिर से

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अखिलेश
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उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी की सरकार के 15 मार्च को चार वर्ष पूरे हो रहे हैं, इस अवसर पर सरकार और पार्टी भव्यता के साथ समाजवादी विकास दिवस के रूप में समारोह आयोजित करने जा रही है, जिसमें आम जनता को ही आमंत्रित कर आम जनता को दिए गये लाभ से अवगत कराया जायेगा। समारोह एक दिन प्रदेश के प्रत्येक जिला मुख्यालय पर एवं दो दिन प्रत्येक 821 ब्लॉक मुख्यालयों पर आयोजित किये जा रहे हैं, जिसके सफल आयोजन के लिए समूचा सरकारी तंत्र जुटा हुआ है। शासन ने आयोजन की सफलता का दायित्व मण्डलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों को सौंपा है। मुख्यालय पर समारोह की अध्यक्षता जिला योजना समिति हेतु नामित मंत्री द्वारा की जायेगी, साथ ही कार्यक्रम में मण्डलायुक्त, जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आदि अधिकारी अनिवार्य रूप से उपस्थित रहेंगे। जिला मुख्यालयों पर विभिन्न जन कल्याणकारी योजनाओं से संबंधित पांच सौ लाभार्थियों की भागीदारी वाला एक वृहद कार्यक्रम करना और प्रत्येक ब्लॉक मुख्यालय पर सौ-सौ लाभार्थियों की उपस्थिति सुनिश्चित की गई है, साथ ही समारोह में आम जनता को वर्तमान सरकार द्वारा जनहित में संचालित जन कल्याणकारी योजनाओं, विकास एवं निर्माण कार्यों, शासन की नीतियों एवं निर्णयों तथा उपलब्धियों के विषय में अवगत कराया जायेगा। आम जनता को बताया जायेगा कि समाजवादी पेंशन योजना, लोहिया ग्रामीण आवास योजना,निःशुल्क लैपटॉप वितरण योजना, संशोधित कन्या विद्या धन योजना, कामधेनु मिनी और माइक्रो डेयरी योजना, कृषक दुर्घटना बीमा योजना, ‘102‘ नेशनल एम्बुलेंस सर्विस, स्वास्थ्य/जननी सुरक्षा योजना, निराश्रित महिला पेंशन, किसान/वृद्धावस्था पेंशन, विकलांग पेंशन, कृषि विभाग की योजनाओं और कौशल विकास मिशन के संबंध में बताया जायेगा। समाजवादी विकास दिवस के अवसर पर आयोजित होने वाले समारोह के लिए बजट भी निर्धारित किया गया है, जिसका भुगतान कई विभाग मिल कर करेंगे। प्रदेश के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने करोड़ों रूपये की प्रचार सामग्री प्रदेश भर में पहुंचा दी है, जो आम जनता के बीच वितरित की जायेगी।

सरकार के चार वर्ष पूरे होने के संबंध में आम जनता को पता भी नहीं चलता, लेकिन समाजवादी दिवस आयोजित कर सरकार ने जनता का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया, जिससे चर्चा भी होने लगी है और कई तरह के सवाल भी उठने लगे हैं। पहला सवाल तो समाजवादी एकता दिवस के समारोह पर ही उठ है, यह ऐसे ही है, जैसे सिनेमाघर से फिल्म देख कर बाहर आये व्यक्ति को फिल्म का निर्माता/निर्देशक पकड़ ले और उसे बैठा कर समझाये कि जिस फिल्म को देख कर वह आया है, वो फिल्म बहुत मनोरंजक है। फिल्म की कहानी ज्ञानवर्धक है और समाज को बहुत अच्छा संदेश दे रही है। दृश्य लुभावने और भव्य हैं, साथ ही प्रत्येक कलाकार ने शानदार अभिनय किया है, यह सब सुन कर फिल्म देख चुका व्यक्ति झल्ला उठेगा। फिल्म देखने के कारण फिल्म के बारे में उसके विचार स्थाई हो चुके हैं, इसलिए फिल्म अच्छी है, या बुरी, उस व्यक्ति पर कोई असर नहीं होने वाला, ऐसे ही समाजवादी एकता दिवस के अवसर पर आयोजित होने वाले समारोह के माध्यम से सरकार जनता को बतायेगी कि वह सफल सरकार है, इसीलिए सवाल उठ रहा है कि जनता को तो पता ही है कि वह कैसी सरकार है, तो उसे पकड़ कर बताने से क्या लाभ होगा। इससे तो अभियान चला कर योजनाओं का भौतिक सत्यापन कराया जाता, तो जनता को बड़ा लाभ मिल सकता था।

उत्तर प्रदेश बर्बाद हो चुका था, जिसे अखिलेश यादव ने सुधारा तो है, लेकिन सुधार जिस जगह और जिस गति से होना चाहिए था, वह अपेक्षा से बहुत कम है। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग उत्तर प्रदेश संदेश नाम से एक मासिक पत्रिका निकालता है, जिसके जुलाई 2015 के अंक में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का साया कहे जाने वाले राजेन्द्र चौधरी ने “लंदन में वो पांच दिन” नाम से कवर स्टोरी लिखी है, जिसमें उन्होंने यह सिद्ध करने का प्रयास किया है कि जैसा लंदन है, वैसा ही उत्तर प्रदेश है, इस स्टोरी को पढ़ने वाला उत्तर प्रदेश का कोई भी निवासी कैसे विश्वास कर पायेगा। हाँ, विकास हुआ है, पर जैसा बताने का प्रयास किया जा रहा है, वैसा तो बिल्कुल भी नहीं है। जमीनी स्मस्यायें बरकरार हैं। आम आदमी मूलभूत सुविधायें पाने के लिए आज भी भटकता नजर आ रहा है। जन सामान्य से संबंधित योजनायें पूरी तरह भ्रष्टाचार का शिकार हैं। गाँव में आज भी प्रत्येक महीने निर्धारित मूल्य पर केरोसिन नहीं मिल पा रहा है। राशन कार्ड बनवाने तक के लिए भटकती महिलायें कहीं भी देखी जा सकती हैं। नियुक्तियां निकलती हैं, जिनमें मोटी फीस जमा कर बेरोजगार आवेदन करते हैं, लेकिन अधिकांश नियुक्तियां आवेदन से आगे बढ़ नहीं पाती। लोक निर्माण विभाग में माफिया ठेकेदार हावी हैं। स्तब्ध कर देने वाली बात यह है कि विधायक निधि तक बेची जा रही है। पुलिसिंग का आलम यह है कि बलात्कार रूटीन क्राइम बन गया है। सात-आठ वर्ष की बच्चियों से लेकर पचास वर्ष तक की महिलायें भी इन चार वर्षों में यौन शोषण का शिकार होती रही हैं। महिला हेल्पलाइन तक सवालों के घेरे में आ चुकी है। गाय की हत्या रोकने में सरकार असफल रही है। कानून अव्यस्था और बिजली से हर आम आदमी सीधा प्रभावित होता है और इन दोनों के ही हालात भयावह हैं। लोकायुक्त हो, या उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष, संवैधानिक पदों की भी गरिमा गिरी है, जिससे न्यायालय हस्तक्षेप करता रहा है। आईएएस और आईपीएस की जगह प्रमोटिड अधिकारी जिलों में तैनात करने के लिए सरकार की पहली पसंद रहे हैं, जो सत्ता पक्ष के नेताओं के इशारे पर ही कार्य करते नजर आते हैं और उन्हें खुश रखने के प्रयास में ही जुटे दिखते हैं, जिससे जनता पीछे छूटनी स्वाभाविक ही है।

उत्तर प्रदेश के हालात दयनीय ही कहे जा सकते हैं। नेताओं और अफसरों के संबंध में आम जनता के मन में अच्छे भाव महसूस नहीं हो पा रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की छवि ईमानदार व्यक्ति के रूप में बरकरार है। जिन योजनाओं पर मुख्यमंत्री की सीधी नजर है, वे योजनायें भी सफल कही जा सकती हैं। कृषक दुर्घटना बीमा,  मुफ्त चिकित्सा योजना सफल कही जा सकती हैं। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे, मेट्रो रेल परियोजना, चकगंजरिया फार्म को सीजी सिटी के रूप में विकसित करना और हेरिटेज आर्क भी सराहनीय कार्य कहे जा सकते हैं, लेकिन इन कार्यों से मूलभूत सुविधायें पाने के लिए भटक रहे आम आदमी को कोई मतलब नहीं है। “कहो दिल से, अखिलेश यादव फिर से” नारा सुन कर दुखी आम आदमी यही बोलता नजर आता है कि “कैसे कहें दिल से, अखिलेश यादव फिर से”।

बी.पी. गौतम

 

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