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हम हिन्दीवाले (व्यंग्य ) - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
दिलीप कुमार अपने कुनबे में हमने ही ये नई विधा इजाद की है ।एकदम आमिर खान की मानिंद "परफेक्शनिस्ट",नहीं,नहीं भाई कम्युनिस्ट मत समझिये।भई कम्युनिस्ट से जब जनता का वोट और सहयोग कम होता जा रहा है तब हम जैसा जनता के सरोकारों से जुड़ा साहित्यकार कैसे उनसे आसक्ति रख सकता…