हम जो छले, छलते ही गये - प्रवक्ता.कॉम - Pravakta.Com
15 अगस्त की वह सुबह तो आयी थी जब विदेशी आंक्रान्ताओं से हमें शेष भारत की बागड़ोर मिली हम गुलाम थे, आजाद हुये आजादी के समय भी हम छले गये थे आज भी हम अपनों के हाथों छले जा रहे है। भले आज हम आजादी में साॅसे ले रहे है…