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हमशक्ल - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
हे ईश्वर किस मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया। कटक के बाद जिस चेहरे को बामुश्किल से भूल पाया था, आज फिर से हूबहू मेरे सामने था। लेकिन मुझसे अंजान, क्यों कि सिर्फ चेहरा मिलता था? जिसने घाव को कुरेद दिया। मुझे उसकी बिसरी यादों की झलक दिखने लगी।वर्षों पहले…