कहने को मैं दलित हूँ पर अब दौलत की महारानी हूँ

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कहने को मैं दलित हूँ पर अब दौलत की महारानी हूँ 
भले ही मेरे आगे पीछे नहीं,अपने घर की पटरानी हूँ

भले ही मैं सदा कुवांरी रहूँ,पर ब्याहों से तो अच्छी हूँ
शादी करके क्या मिलेगा,मैं बिन ब्याह लेती मस्ती हूँ 

रूप रंग है ऐसा मेरा,सब नेता लोग मुझ पर मरते है
मैं अपनी पार्टी की नेता हूँ,सब वर्कर मुझ से डरते है  

कौन कहता है मैंने, एस पी से अपना हाथ मिलाया है 
अरे मूर्खो!बी एस पी में पहले से ही एस पी छिपाया है 

अपमान में ही मान छिपा है,क्यों पुरानी याद दिलाते हो 
मैं तो द्रोपदी बनी थी,क्यों दुश्शासन की याद दिलाते हो 

कहने को मैं सूखी रोटी खाती हूँ पर रोज मालपूए खाती हूँ 
इसलिए मालपुए खाने के कारण,सदा ही मस्ती में रहती हूँ 

वैसे तो मैं दलित हूँ,पर ये सब कहने और दिखावे के है 
मेरा हाथी खाता और किसी से वह तो दांत दिखावे के है 

सी एम तो बन चुकी अब तो मैं पी एम पद की भूखी हूँ 
वह पद तो मेरा अपमान था जिसको  पहले छोड़ चुकी हूँ  

आर के रस्तोगी  

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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