सिब्ब्ल जी अपने गिरेबान में भी झांकिये

शादाब जफर‘शादाब’

श्री इकबाल हिंदुस्तानी जी का लेख ‘यदि अन्ना कुवांरे होते तो सरकार उन्हे झुका लेती’ पढा ।लेखक ने अपने विचारो को आम आदमी के मन की अभिव्यक्ति दी। पर कहना चॉहूगा कि यदि अन्ना शादी शुदा होते तो सरकार के झुकाने की नौबत ही नही आती बल्कि अन्ना खुद ही झुक जाते। क्या कि इकबाल जी जिस मंहगाई से आज परिवार का बोझ ढोते ढोते आम आदमी की कमर झुक रही है आप को अन्ना जी यू ही सरहद पर सिपाही की तरह सीधे खडे मिलते। सरकार का अगर ये मानना है कि अन्ना शादी शुदा होते तो यह आन्दोलन कभी नही होता, सरकार की ये बात 101 प्रतिशत सही है। आज देश में किस के पास इतना वक्त है कि वो किसी से लड़े आज हम जिस समाज और जिस देश में जी रहे है उस देश और समाज का ये हाल है कि हमे अपनी बीवी,बच्चे और अपना कारोबार, नौकरी के सिवा कुछ नही पता। मां, बाप, भाई बहन, अडोसी पडोसी किस हाल मैं है इतना वक्त ही नही कि इन के बारे मैं सोचा या इन लोगो को देखा जायें।

आज पंधानमंत्री जी और कपिल सिब्ब्ल जी को आम आदमी का दर्द, देश की एकता अखंडता कि याद आ रही कल जब देहली के कारोबारी अनिल जैन को हार्ट अटैक हुआ जिन्दगी मौत को हराने के लिये एक एम्बुलेंस सड़क पर दौड पडी अभी अस्पताल और मरीज के बीच केवल 10 मिनट का फासला था, इसे मौत की जीत कहे या अनिल की जिन्दगी से हार या फिर भाग्य की विडम्बना अनिल जैन को लेकर जा रही एम्बुलैंस को उसी रास्ते से पंत अस्पताल जाना था जिस मार्ग से प्रधानमंत्री मनमोहन सिॅह का काफिला गुजरने वाला था। पुलिस ने पूरे रास्ते को सुरक्षा की दृष्टि से सील कर दिया एम्बुलैंस का सायरन चीख रहा था, अनिल के परिजनो ने एम्बुलैंस से उतर सुरक्षाकर्मियो के हाथ जोडने शुरू कर दिये प्लीज रास्ता दीजिये एम्बुलैंस में बहुत ही नाजुक हालत में मरीज है देर हुई तो वो मर जायेगा। मगर प्रधानमंत्री की सुरक्षा में लगे दिल्ली पुलिस के कानो पर जू तक नही रेंगी। ऐसा लग रहा था कि मानो ये पुलिस वाले हिन्दुस्तानी न होकर ब्रिटिश काल के हो। इनको आम आदमी की जान से ज्यादा प्रधानमंत्री के काफिले की चिन्ता थी। आम आदमी एम्बुलैंस में मौत से लड रहा था उस की जान बचाने को उस के परिजन मिन्नते कर रहे थे गिडगिडा रहे थे। सुरक्षाकर्मियो को इस बात की जरा भी परवाह नही हो रही थी के एक आदमी मर रहा है। वो बार बार अनिल के परिवार वालो को कहते रहे वीवीआईपी मूवमेंट के कारण टैफिक रोका गया है कुछ देर में प्रधानमंत्री गुजरने वाले है। फिर आप अपना मरीज ले जाना इसी जद्दोजहद में लगभग 30 मिनट तक मरीज दर्द से तडपता रहा। उस आम आदमी के दिल के दर्द की आवाज कुछ ही देर में प्रधानमंत्री के काफिले की गाडियो के हुटर की आवाज में दब गई। अनिल जैन प्रधानमंत्री के काफिले के कारण समय पर अस्पताल नही पहॅुच पाये और जब तक एम्बुलैंस अस्पताल पहॅुची वो दम तोड चुका था। ऐसी ही एक मौत 3 जुलाई 2010 को कानपुर उत्तर प्रदेश में एक बारह वर्षीय अमान खान की प्रधानमंत्री के कानपुर आईआईटी यात्रा के दौरान ट्रैफिक रोक देने के कारण आपात चिकित्सा सुविधा न मिलने के कारण हो गई थी। रोज न जाने देश के कितने लोग वीवीआईपी सुरक्षा के नाम पर मार दिये जाते है क्यो कि आज देश में आम आदमी पर सत्ता इस कदर हावी हो गई है कि देश में आम आदमी की औकात कीडे मकौडो की तरह हो गई है।

आज ये सरकार ये प्रधानमंत्री किस समाज और किस सभ्यता की बात कर रहे है। आज यदि देश की जनता अपने दिल की भड़ास सोशल नेटवर्किग वेबसाइटो पर निकाल रही है तो सरकार को इन वेबसाईटो का शुकिया अदा करना चाहिये। अगर ये वेबसाईटे न हो और लोगो के दिल का बोझ और गुस्सा न निकले तो रोज किसी न किसी मंत्री की पिटाई हो दरअसल आज बात काग्रेस या किसी सियासी दल की नही बात और सवाल देश के नेतत्व पर उठ रहा है जिस प्रकार देश चलाया जा रहा है उस पर लोगो का गुस्सा जायज है। आज हम दुकानो की रेट लिस्ट देखकर जान सकते है कि हमारी सरकार इस मुददे पर बिल्कुल भी गम्भीर नही है आज आम आदमी का जीना दुश्वार हो रहा है भ्रष्टाचार और मंहगाई के कारण देश में त्राही-त्राही मची है। संसद भवन कुछ भ्रष्ट राजनेताओ के कारण हर रोज शर्मसार हो रही है जनता की खून पसीने की कमाई दिल खोलकर लुटाई जा रही है। पिछले दो तीन सालो से खाद्यान्न की कीमतो में रिकार्ड उछाल है। शेयर बाजार, सोना और भ्रष्टाचार आसमान छू रहे है। और गरीब जमीन में ध्ंसा जा रहा है। गुरबत के कारण गरीब व मध्यवर्गीय आम आदमी परिवार की गाडी खिचता खिचता थकता चला जा रहा है। हमारे माननीय ईमानदार प्रधानमंत्री जी, मंत्रियो और संसदो को बिल्कुल भी परवाह नही, अपनी जिम्मेदारी का जरा भी एहसास नही आखिर ये कैसी ईमानदारी है कि देश लूट रहा है और मंत्री से लेकर संत्ररी तक देश लूटने में लगे है।

देश में फैले भ्रष्टाचार के कारण सरकार को विकास के साथ साथ आम आदमी और कमर तोड मंहगाई पर नियंत्रण का कोई ख्याल नही रहा उसे ख्याल है ममता जी का एफडीआई के मुद्दे पर ममता कि एक घुड़की में सरकार के सारे के सारे अरमान धरे के धरे रह गये। क्यो, वो इस लिये की अगर ममता दीदी रूठ गई तो यकीनन सरकार हिल जायेगी और कांग्रेस ऐसा कभी नही चाहेगी। क्यो के कांग्रेसी लीडर आज सत्ता सुख में कुछ इस तरह से रच बस गये है की वो बिना लाल बत्ती की गाडी और राजसी सुख सुविधाओ के बगैर जी ही नही सकते। ये ही वजह है की काँग्रेस का पुराने से पुराना और बूढा लीडर भी किसी न किसी प्रदेश का राज्यपाल बन जाता है। दरअसल उसे शुरू से राजसी जीवन जीने की आदत होती है जिसे वो मरते दम तक नही छोडना चाहता है।

आज इसी लिये कुछ सरकारी नुमाईंदे कहते है कि इस बूढे अन्ना की शादी करा दो, शादी के बाद सारे अनशन सारे आन्दोलन सारे उपवास भूल जायेगा। अगर खुद नही भूला तो बीवी सब भूला देगी। पर मेरा मानना है कि सरकार इस मामले में थोडी कच्ची है। या सरकार और उस के मत्री जरूरत से ज्यादा चालाक है। उन्हे पता है कि आने वाले दिन उन के लिये अच्छे नही है। सांसद या एमएलए की बात तो बहुत दूर की इन देश के भ्रष्ट जनप्रतिनिधियो को कोई वार्ड का मेम्बर तक नही बनायेगा। युवराज को प्रधानमंत्री बनाने की सोच रहे लोगो और नादान कपिल सिब्बल जी को गूगल, माइक्रोसाफ्ट, याहू, फेसबुक जैसी कंपनियो और सोशल नेटवर्किग वेबसाईटो पर त्योरी चढाने से पहले अपने गिरेबान में झांक कर भी देखना चाहिये कि आखिर लोग उन्हे बुरा भला क्यो कह रहे है अपनी ही चुने उस प्रतिनिधि को चाटा क्यो मार रहे है जिस पर कल तक वो फूल बरसाया करते थे।

 

 

 

4 COMMENTS

  1. एक गाँधी जी भी थे जो शादीशुदा होते हुए भी ब्रिटिश के आगे नहीं झुके …

  2. शादाब भाई, ये अभी गिरेबान में नहीं झाकेंगे. जब चुनाव में जनता इनका गिरेबान पकड़कर आइना दिखाएगा तब ही ये झांकेंगे. जब अहंकार रावण जैसो को लील गया, तो सिब्बल किस दूकान के चप्पल हैं?? इन्हें भी वक्त आने पे अपनी औकात मालूम पड़ेगी. बस हमें जनता को जगाते रहना है.

  3. ||ॐ साईं ॐ|| सबका मालिक एक है ,इसीलिए प्रकृति के नियम क़ानून सबके लिए एक है…
    नेता कहते है कश्मीर से कन्या कुमारी तक भारत एक है…पर देश में नियम क़ानून अनेक है …..क्या यही लोक तंत्र है ?
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    निगम पार्षद नोट कमाता है एम एल ए विश्वास गँवाता है सांसद अपना शर्मिन्दा है ,लोकतन्त्र फिर भी ज़िन्दा है ॥
    व्यवसायी हर टैक्स बचाता । अध्यापक ट्यूशन की खाता, पत्रकार इक कारिन्दा है , लोकतन्त्र फिर भी ज़िन्दा है ॥
    डाँक्टर भारी लूट मचाता,अभियन्ता अभियान चलाता,बेघर हर इक बाशिन्दा है, लोकतन्त्र फिर भी ज़िन्दा है ॥
    किसान क़िस्मत का है मारा, नेताओं में बँटता चारा,
    प्रधान मंत्री देश का अंधा है, लोकतन्त्र फिर भी ज़िन्दा है ॥
    भ्रष्टाचार कांग्रेस का धंधा है ,लोकतंत्र फिर भी ज़िंदा है ||
    सरकारी व्यापार भ्रष्टाचार

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