मुझे तुम बहुत याद आये

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ज़ब जब वर्षा ऋतु आई
नभ मे काली घटा छाई
दिन मे अँधेरी छा जाये
मनवा मेरा बहुत घबराये
बिजली बहुत चमक रही थी
मन मन मे मैं डर रही थी
मुझे तुम बहुत याद आये
मुझे तुम बहुत याद आये

ज़ब ज़ब श्रंगार करने को चली
अपने पिया की होने मैं चली
तुमने ही मुझे दिया सहारा
और दर्पण को मैंने निहारा
मुझे तुम उसमे नजर आये
मुझे तुम बहुत याद आये
मुझे तुम बहुत याद आये

ज़ब ज़ब मेरा मन भटका
मेरा मन तुम्हारे लिए तरसा
मैंने प्रभु मे ध्यान लगाया
उनको काफ़ी मैंने मनाया
पर वे ध्यान मे न आये
तुम्ही ध्यान मे मेरे आये
मुझे तुम बहुत याद आये
मुझे तुम बहुत याद आये

ज़ब ज़ब पतझड़ आया
मेरे जीवन मे अंधेरा छाया
पूछा पतझड़ से तुम क्यों आते
बोला प्रकृति को नया करने आता
मैं समझ गयी उसकी ये बाते
तुम मेरा जीवन नया करने आये
मुझे तुम बहुत याद आये
मुझे तुम बहुत याद आये

ज़ब ज़ब मुसीबते आई
अपनों ने निगाहेँ फिराई
गैरों ने दिया मुझे सहारा
अपनों ने किया किनारा
मै इतनी दुखी हो चली थी
मैं आत्महत्या करने चली थी
मेरे कदम तब डगमगाए
मुझे तुम बहुत याद आये
मुझे तुम बहुत याद आये

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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