वोट बैंक के लालच में राष्ट्र निर्माण की अनदेखी

-विनय कुमार सर्वोदय- muslim
कांग्रेस नीत संप्रग सरकार द्वारा एक तरफा मुसलमानों को लाभान्वित करने की अनगिनत योजनाएं चल रही हैं। विभिन्न योजनाओं के विवरण समय-समय पर समाचार पत्रों में प्रकाशित होते रहते हैं। सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली सरकार चुनावों को ध्यान में रखकर अल्पसंख्यकों (मुसलमानों) की वोटों पर डाका डालने के लिए अनेक योजनाओं का भी समाचार पत्रों में बड़े-बड़े विज्ञापनों द्वारा प्रचार व प्रसार करती आ रही हैं।

इसी संदर्भ में सरकार ने मुस्लिम वोटरों को लक्ष्य बनाकर मुूस्लिम बहुल क्षेत्रों में सरकारी क्षेत्र के बैंकों की शाखाएं खुलवाकर (जून 2006 से) उनसे वहां पर विशेषतः मुसलमानों को ऋण बंटवाया जिसके परिणाम स्वरुप जिन क्षेत्रों विशेषतः आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक एवं उत्तर प्रदेश में ज्यादा बैंकों की शाखाएं खोलकर ऋण बाटा गया, वहां पर कांग्रेस ने 2009 के चुनावों में ज्यादा लोकसभा सीटें जीतीं। ये ऋण सरकार द्वारा दी जाने वाली अन्य योजनाओं के अतिरिक्त है।
दैनिक जागरण (21-03-2014) समाचार में छपे लेख के अनुसार पिछले 6 वर्षों में केन्द्र सरकार द्वारा सरकारी बैंकों से मुसलमानों को बांटे गये ऋण की राशि निम्न प्रकार हैः-

वर्ष                 राशि करोड़ रुपये में
2008-2009        82865
2009-2010        112039
2010-2011        143397
2011-2012        164748
2012-2013        185234
2013-2014         211452
कुल योग              899735

इस प्रकार सोनिया गांधी की सरकार ने 2008 से 2014 तक लगभग 9 लाख करोड रुपया सरकारी बैकों द्वारा भारतीय जनता विशेषतः बहुसंख्यक हिन्दुओं द्वारा बैंकों में जमा किया गया धन मुसलमानों को कर्ज के रूप में बंटवाया। क्या धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देने वाली सरकार अंसवैधानिक रूप से केवल मुस्लिम पोषित योजनाओं द्वारा समाज में साम्प्रदायिकता फैलाने का प्रयास नहीं कर रही? बहुसंख्यक समाज के दिये टैक्सों द्वारा भरे राजकोष को केवल मुस्लिम वोटों के लालच में लुटाया जाता रहेगा तो क्या ‘भारत निर्माण’ का नारा बेमानी नहीं होगा?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here